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प्रोस्टेट कैंसर में रोबोटिक सर्जरी बेहतर हुआ इलाज

नवीनतम रोबोटिक प्रोस्टेट कैंसर सर्जरी उन पुरुषों के लिए उम्मीद का उजाला बनकर प्रचलन में आ चुकी है, जो इस रोग से ग्रस्त हैं...

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 19 Apr 2016 01:21 PM (IST)Updated: Tue, 19 Apr 2016 01:33 PM (IST)

प्रोस्टेट कैंसर आम तौर पर सबसे ज्यादा होने वाला, लेकिन उपचार योग्य कैंसरों में से एक है। पाश्चात्य देशों में 50 साल की उम्र से अधिक लोगों में यह कैंसर बड़े पैमाने पर होता है, लेकिन भारत समेत दुनिया के पूर्वी देशों में भी प्रोस्टेट कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। अभी यह कैंसर विभिन्न प्रकार के कैंसरों में तीसरे स्थान पर है।

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ऐसे करें रोकथाम

इस कैंसर का पता करने का आसान तरीका किसी भी पुरुष द्वारा एक निश्चित अंतराल पर साधारण रक्त परीक्षण कराते रहना है। इस रक्त परीक्षण को प्रोस्टेट स्पेशिफिक एंटीजेन (पीएएसए) कहते हैं। यह परीक्षण हर दो साल के अंतराल पर 45 साल की आयु के बाद करवाया जा सकता है।

इलाज

प्रोस्टेट कैंसर के इलाज की प्रमुख विधियां सर्जरी या रेडियो-थेरेपी है। इस कैंसर की प्रमुख सर्जरी रेडिकल प्रोस्टेटेक्टॅमी सर्जरी के नाम से जानी जाती है। इस ऑपरेशन में प्रोस्टेट ग्लैंड और उसके आसपास के टिश्यूज जैसे कि सेमाइनल वेसिकल्स को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है। रेडिकल प्रोस्टेटेक्टॅमी को अंजाम देने की कई विधियां उपलब्ध हैं। लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक विधियां कम से कम चीड़-फाड़ और छोटे से चीरे से की जाने वाली सर्जरी है।

अत्याधुनिक सर्जरी

प्रोस्टेक कैंसर के इलाज में सर्वाधिक अत्याधुनिक और कारगर सर्जरी रोबोटिक प्रोस्टेटेक्टॅमी सर्जरी है। रोबोटिक सिस्टम के आविष्कार से यूरोलॉजी से संबंधित पेचीदा सर्जरी की जटिलताओं को दूर करने में सफलता मिली है।

रोबोटिक टेक्नोलॉजी के थ्री डी विजन और दस गुना मैगनीफिकेशन होने से आसपास के टिश्यूज को देखना संभव हुआ है। अत्यंत कारगर और विशिष्ट रोबोटिक यंत्रों के जरिए सर्जन सर्जरी को सटीक रूप से अंजाम दे सकता है। इस कारण मरीज की परेशानियां कम से कम हो जाती हैं और बेहतर नतीजे मिलते हैं।

प्रोस्टेट कैंसर के मामले में रोबोटिक रेडिकल प्रोस्टेटेक्टॅमी एक सबसे बेहतरीन इलाज है, बशर्ते कैंसर प्रोस्टेट ग्लैंड तक ही सीमित है।

सर्जरी की प्रक्रिया

रोबोटिक प्रोस्टेटेक्टॅमी सर्जरी की प्रक्रिया के अंतर्गत मरीज को जर्नल एनेस्थीसिया दिया जाता है और उसे पीठ के बल लेटा दिया जाता है। सर्जन मरीज के पेट में छह छोटे चीरे (प्रत्येक चीरा 1 सेमी. का) लगाता है। इन चीरों पर ‘हालो सिलेंडर्स’ (जिन्हें पोट्र्स नाम से पुकारा जाता है) रखे जाते हैं। इसके साथ ही ऑपरेशन से संबंधित एक टेलीस्कोप, कैमरा और सर्जरी के उपकरणों को पोट्र्स के जरिए पेट में डाला जाता है। ऑपरेशन की मेज

पर रोबोट को मुकम्मल जगह रखा जाता है। इसके बाद रोबोटिक आर्म और कैमरा को कुछ पोट्र्स के साथ जोड़ दिया जाता है। सर्जन मरीज से कुछ फीट दूरी पर एक कंसोल पर बैठता है। सर्जन रोबोटिक आर्म और कैमरा को नियंत्रित करता है। सर्जन सर्जरी वाले भाग को थ्री डी गॉगल्स के जरिए देखता है जिसके परिणामस्वरूप शरीर की अंदरूनी संरचना की अच्छी जानकारी मिल जाती है। एक बार जब प्रोस्टेट ग्रंथि को उसके नियत स्थान से हटा दिया जाता है, तब यूरेथ्रा को यूरिनरी ब्लैडर के साथ फिर से जोड़ दिया जाता है। मरीज के पास से रोबोटिक आर्म को हटा दिया जाता है। नाभि के पास का चीरा कुछ बड़ा होता है। इस कारण समूची प्रोस्टेट ग्लैंड को इस चीरे के जरिये निकाल दिया जाता है।

मरीज के होश में आने से पहले सभी उपकरण हटा लिए जाते हैं, सिर्फ यूरीनरी कैथेटर और पेट में ड्रेन (नली) को अपनी जगह छोड़ दिया जाता है। रोबोटिक सर्जरी के जोखिम हालांकि जटिलताओं से बचने के लिए ऐहतियातन रूप से सजगताएं बरती जाती है, लेकिन कोई भी सर्जिकल इलाज पूरी तरह से जोखिम रहित नहीं है। रोबोटिक सर्जरी के जोखिम में संक्रमण, पेशाब में रुकावट, पोर्ट साइड हर्निया और प्रोस्टेट ग्रंथि के समीपवर्ती अंगों में इंजरी भी हो सकती है।

सर्जरी का स्कोप

भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में रोबोटिक सर्जरी का महत्व तेजी से बढ़ता जा रहा है। अभी चंद साल पहले तक देश में रोबोटिक सिस्टम उंगलियों पर गिने जा सकने वाले थे, जबकि अब रोबोटिक सिस्टम की संख्या लगभग 33

है। शिक्षा के बढ़ते हुए स्तर और लोगों को जागरूक बनाने और कैंसर की जांच करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करने की जरूरत है। बहरहाल, रोबोटिक और नयी तकनीकों की उपलब्धता के कारण निकट

भविष्य में रोबोटिक सर्जरी कराने वालों की संख्या कई गुना तक बढ़ सकती है।

खासियतें

प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के मामले में रोबोटिक प्रोस्टेटेक्टॅमी सर्जरी की सफलता दर इलाज की अन्य विधियों की तुलना में सबसे अधिक है। अध्ययनों से यह बात पता चला है कि इस ऑपरेशन की सफलता दर 76 से लेकर 98 प्रतिशत तक है। रोबोटिक प्रोस्टेटेक्टॅमी सर्जरी की प्रक्रियाओं को अगर सर्जन सामान्य रूप से अंजाम देता है, तो उसे मरीज के इलाज में कहीं ज्यादा सफलता मिलती है और मरीज को किसी तरह की जटिलता का सामना नहीं करना पड़ता शीघ्र रिकवरी परंपरागत ओपन प्रोस्टेटेक्टॅमी या नॉन रोबोटिक लैप्रोस्कोपिक प्रोस्टेटेक्टॅमी की

तुलना में रोबोटिक प्रोस्टेटेक्टॅमी सर्जरी से मरीज को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

रोबोटिक प्रोस्टेटेक्टॅमी सर्जरी के बाद मरीज के स्वास्थ्य लाभ का समय दूसरे मरीज से भिन्न हो सकता है। आमतौर पर रोबोटिक सर्जरी होने के बाद मरीज 24 से 48 घंटे में डिस्चार्ज कर दिया जाता है, जबकि इसके विपरीत टीयूआरपी तकनीक से किए गए ऑपरेशन के बाद रोगी को तीन दिनों तक अस्पताल में रुकना पड़ता है।

सर्जरी के सात दिनों के अंदर अधिकतर मरीजों के कैथेटर को हटा दिया जाता है। अधिकतर मरीज दो हफ्तों के अंदर अपनी सामान्य दिनचर्या पर वापस आ सकते हैं। जो लोग ऐसे काम में लगे हैं जिनमें भारी वस्तुओं को उठाना पड़ता है, उन्हें चार से छह हफ्तों तक कम भार उठाना चाहिए। एक से तीन महीने के अंदर लगभग सभी

मरीजों का अपनी पेशाब पर नियंत्रण कायम हो जाता है। टहलने से और व्यायाम करने से मरीज को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होता है। नियमित रूप से हल्का व्यायाम करने से पेल्विक मसल्स सशक्त होती हैं। इन व्यायामों से वजन को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है और साथ ही दिल की सेहत भी सुधरती है।

सर्जरी के लाभ

’ कम समय तक अस्पताल में रुकना पड़ता है।

’ दर्द कम होता है।

’ संक्रमण का खतरा भी कम से कम हो जाता है।

’ रक्त-स्राव कम से कम होता है और मरीज को आमतौर पर रक्त चढ़ाने की

जरूरत नहीं पड़ती।

’ पेट में दाग गहरा नहीं पड़ता।

’ पेशाब पर नियंत्रण की वापसी जल्दी होती है।

’ सामान्य दिनचर्या पर व्यक्ति जल्दी लौट आता है।

डॉ.राकेश खेरा डायरेक्टर: यूरो

ऑनकोलॉजी मेदांता दि मेडिसिटी, गुड़गांव

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