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योग आपको हमेशा के लिए रख सकता है निरोग, जानिए क्‍या-क्‍या हैं इसके फायदे

योग के नियमित अभ्यास से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में आश्चर्यजनक सुधार होता है। कैसे होता है यह सुधार? जो लोग विभिन्न रोगों से ग्रस्त हैं, उन्हें योग करने से पहले क्या-क्या सजगताएं बरतनी चाहिए? आइए साझा करते हैं, योग से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां...

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Fri, 13 Jan 2017 12:43 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2017 11:54 AM (IST)
योग आपको हमेशा के लिए रख सकता है निरोग, जानिए क्‍या-क्‍या हैं इसके फायदे

योग के अंतर्गत योगासनों, प्राणायाम और ध्यान आदि को भी शामिल किया जाता है। योगासनों, प्राणायाम और ध्यान सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं। विभिन्न आसनों से हड्डी, मांस-मज्जा और शरीर के भीतरी अंग सशक्त होते हैं। वहीं प्राणायाम से शरीर के भीतर की नाड़ियां सुचारु रूप से कार्य करती हैं। योग डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसे मनोरोगों के इलाज में सहायक है। यह आपके हृदय को भी स्वस्थ रखने, रक्त शुगर को कम रखने, बैड या खराब कोलेस्ट्रॉल को कम रखने और अच्छे या गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में भी मदद करता है। नियमित रूप से योग करने से पुराने कमर दर्द से राहत मिलती है और योग हमारी हड्डियों और जोड़ों को लचीला बनाए रखता है। यह पुराने दर्द को नियंत्रित रखने में भी सहायक है। योगासन,ध्यान और प्राणायाम आदि के रूप में नियमित योग करने से आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को फायदा पहुंचता है।

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तनाव को करे नियंत्रित
योग करने से तनाव के दौरान एड्रीनेलीन नामक न्यूरो केमिकल कम निकलता है, जिससे मानसिक तनाव नियंत्रण में रहता है। योग हमारे मस्तिष्क को तनावमुक्त और शांतचित्त रखने में मदद करता है। योग से हाई ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने में मदद मिलती है, तनाव कम होता है और मोटापा नियंत्रित होता है। इसके साथ ही व्यक्ति का रक्तसंचार सुचारु रूप से संचालित होता है, जिसका प्रभाव तन ही नहीं बल्कि मन पर भी पड़ता है।

जीवन-शैली और बीमारियां
आज जीवन शैली से संबंधित रोग जैसे कोरोनरी धमनी(आर्टरी) रोग, मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में योग आधारित जीवन-शैली की मदद से इन रोगों पर काबू पाया जा सकता है। कुछ शोधों से पता चला है कि शवासन हाई ब्लड प्रेशर के इलाज में सहायक है। एक और अध्ययन के अनुसार योग पर आधारित जीवन-शैली पर अमल कर केवल दो महीने में ब्लडप्रेशर में कमी आ सकती है। मोटापा अपने आप में कोरोनरी धमनी रोग के लिए खतरे का कारण है, लेकिन अध्ययनों से पता चला है कि योग अभ्यास के एक वर्ष के बाद शरीर के वजन को घटाने और हृदय की क्षमता बढ़ाने में मदद मिलती है। योग की मदद से एचडीएल को छोड़कर सभी लिपिड मापदंडों में कमी लाई जा सकती है। इस प्रकार योग पर आधारित जीवन शैली से कोरोनरी धमनी की बीमारी से बचाव संभव है।

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डायबिटीज से बचाव
मौजूदा समय में मधुमेह या डायबिटीज एक स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। दुनिया भर में सबसे ज्यादा मधुमेह रोगी भारत में ही हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि योग मधुमेह के रोगियों के लिए भी लाभकारी है। योग शरीर की हर कोशिका को प्रभावित करता है। योग अभ्यास करने वाले व्यक्ति का दृष्टिकोण सकारात्मक होता है और वह उद्देश्यपूर्ण और स्वस्थ जीवन व्यतीत करता है। निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि योग के कई मानसिक लाभ हैं। जैसे स्वास्थ्य में सुधार, एकाग्रता का बढ़ना, आत्मविश्वास में वृद्धि और जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण आदि।

योग के साथ व्यायाम करें या नहीं
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने सुझाया है कि नियमित व्यायाम करने के साथ-साथ योग भी करना चाहिए। इसे नियमित व्यायाम का पूरक नहीं समझा जाना चाहिए बल्कि तेजी से चलने और दौड़ने जैसे कार्डियोवैस्कुलर व्यायामों के साथ रोजाना करना चाहिए।

कितनी देर योग करना चाहिए
ज्यादातर विशेषज्ञों का सुझाव है कि हर दिन कम से कम 10 से 15 मिनट तक योग अवश्य करें। अगर आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत है या आप दिल के मरीज हैं तो आप योग शुरू करने के पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें। स्वस्थ लोगों के लिए कम से कम 30 मिनट से 45 मिनट तक योग पर्याप्त माना जाता है। विभिन्न योगासनों के अलावा अनुलोम विलोम और कपालभाति आदि प्राणायाम शामिल हैं, लेकिन गर्भवती महिलाओं को कपाल भाति नहीं करना चाहिए।

इस बात का भी दें विशेष ध्‍यान
अगर आप हदय से संबंधित किसी समस्‍या से पीडि़त हैं तो इस मौसम में सुबह की सैर और व्‍यायाम के दौरान अपने आप को पूरा ढक कर जाना चाहिए। इस मौसम में सर्दी के कारण धमनियां सिकुड़ जाती हैं और खून गाढ़ा हो जाता है। इस वजह से ब्‍लड क्‍लॉट बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। ब्‍लड प्रेशर के मरीज अपनी दवाएं लगातार लें।

(डॉ.पुरुषोत्तम लाल, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, मेट्रो हार्ट इंस्टीट्यूट, नोएडा)

प्रस्‍तुति: विवेक शुक्‍ला

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