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दिल्ली में बच्चों का सांस लेना मुश्किल : वैश्विक संगठन

वैश्विक संगठन का कहना है, ‘दिल्ली में बच्चों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। हर सांस के साथ वे बीमार हो रहे हैं। दिल्ली की घटना वायु प्रदूषण पर पूरे विश्व के लिए चेतावनी है।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Sun, 13 Nov 2016 09:21 AM (IST)Updated: Sun, 13 Nov 2016 09:31 AM (IST)
दिल्ली में बच्चों का सांस लेना मुश्किल : वैश्विक संगठन

संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। पिछले दिनों दमघोंटू स्मॉग के चलते गैस चैंबर में तब्दील दिल्ली के खतरनाक स्तर पर पहुंच गए वायु प्रदूषण को लेकर यूनिसेफ बेहद चिंतित है। उसने इसे पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी करार दिया। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) का कहना है कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए जब तक निर्णायक कदम नहीं उठाए जाएंगे, समस्या का समाधान नहीं होगा। उसके अनुसार, अगर समय रहते नहीं चेते तो दिल्ली का जो हाल हुआ, भविष्य में वह स्थिति पूरी दुनिया की होगी। अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने दिल्ली के साथ वाराणसी और लखनऊ में भी वायु प्रदूषण के स्तर को खतरनाक बताया।

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राष्ट्रीय राजधानी के वायु प्रदूषण को लेकर यूनिसेफ ने बकायदा बयान जारी कर अपनी चिंता जाहिर की है। वैश्विक संगठन का कहना है, ‘दिल्ली में बच्चों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। हर सांस के साथ वे बीमार हो रहे हैं। दिल्ली की घटना वायु प्रदूषण पर पूरे विश्व के लिए चेतावनी है। यह उन सभी देशों और शहरों के लिए खतरे की घंटी है, जहां खतरनाक वायु प्रदूषण स्तर के चलते बच्चों में बीमारी बढ़ी है और वे मौत के शिकार हो रहे हैं।’ संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की ओर से आगे कहा गया, ‘हमें नींद से जागना होगा। वायु प्रदूषण कम करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह दिन दूर नहीं, जब दिल्ली जैसी हालात का सामना करना पूरी दुनिया के लिए आम बात हो जाएगी।’

यूनिसेफ ने आगे बताया, ‘हाल के दिनों में भारत के अन्य शहरों मसलन वाराणसी और लखनऊ में भी वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर रही। लंदन, बीजिंग, मेक्सिको सिटी, लॉस एंजिलिस और मनीला में तो हालात और गंभीर हैं।’

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अंतरराष्ट्रीय संस्था के मुताबिक, हर साल पांच वर्ष से कम उम्र के करीब 10 लाख बच्चों की मौत न्यूमोनिया से हो जाती है। इनमें से ज्यादातर मौतों का कारण वायु प्रदूषण है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने बताया है कि दुनिया भर में 30 करोड़ बच्चे खतरनाक वायु प्रदूषण की चपेट में है। ये बच्चे उन क्षेत्रों में रहते हैं, जहां वायु प्रदूषण जानलेवा स्तर पर है।

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