भ्रूण को 'झुलसा' सकती है हीटर की आंच
कड़ाके की सर्दी और शीत लहर। ऐसे में खुद को ठंड से बचाने के लिए लोग रूम हीटर और ब्लोअर से लेकर अंगीठी तक का तमाम इंतजाम करते हैं। मगर गर्भवती को गर्मी की यह 'आंच' भ्रूण को 'झुलसा' सकती है।
जागरण संवाददाता, मैनपुरी। कड़ाके की सर्दी और शीत लहर। ऐसे में खुद को ठंड से बचाने के लिए लोग रूम हीटर और ब्लोअर से लेकर अंगीठी तक का तमाम इंतजाम करते हैं। मगर गर्भवती को गर्मी की यह 'आंच' भ्रूण को 'झुलसा' सकती है। ज्यादा देर तक रूम हीटर को चलाए रखने से यह ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करता है।
अक्सर आपने बड़े-बूढ़ों को कमरा बंद कर आंच तापने के लिए मना करते हुए सुना होगा। उनकी इस नसीहत के पीछे वैज्ञानिक कारण है। बंद कमरे में ज्यादा देर तक हीटर और ब्लोअर चलाने से कमरे का तापमान बढ़ जाता है। इससे कमरे में नमी का स्तर कम हो जाता है। लिहाजा हवा में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि बंद कमरे में लंबे समय तक हीटर व ब्लोअर चलने से ऑक्सीजन खत्म होने लगती है और कार्बनमोनो ऑक्साइड ज्यादा बनती है। यह जहरीली गैस सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचकर खून में मिल जाती है। इससे हीमोग्लोबिन का स्तर घट जाता है और व्यक्ति को बेहोशी छाने लगती है। कई बार मौत तक हो जाती है।
चिकित्सक कहते हैैं कि गर्भवती महिलाओं के लिए तो ज्यादा देर तक हीटर या ब्लोअर की आंच और भी खतरनाक है। कारण है कि गर्भवती महिलाओं को एनॉक्सिया (खून में ऑक्सीजन की कमी) होती है। ऐसे में ज्यादा देर तक हीटर की गर्मी ऑक्सीजन का स्तर और कम कर देती है। ऐसे में गर्भवती बेहोश हो सकती है और भ्रूण को खतरा हो सकता है।
एकदम बाहर निकलना भी घातक
गर्म कमरे से एकदम से बाहर निकलना भी घातक हो सकता है। हवा के साथ शरीर के अंदर पहुंचने से कार्बन मोनो ऑक्साइड और जहरीली हो जाती है। इसके चलते लाल रक्त कणिकाएं खत्म होने लगती है। इससे मूर्छा आ जाती है।
ये भी लक्षण
लगातार सिर दर्द, - सांस लेने में परेशानी , शरीर का तापमान कम होना। ऑक्सीजन की कमी से त्वचा का रूखापन बढऩा। कई बार सोचने की क्षमता प्रभावित होना।
कमरे में रखें पानी से भरी बाल्टी
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कमरे में हीटर, ब्लोअर चला रहे हैं तो पानी से भरी बाल्टी रखना न भूलें। इससे कमरे में ऑक्सीजन का स्तर बरकरार रखने में मदद मिलती है।
इनका कहना है
हीटर और ब्लोअर की गर्मी के कारण ऑक्सीजन का स्तर कम और कार्बन मोनो ऑक्साइड का बढ़ जाता है। लोग हीटर चलाकर सो जाते हैं। इस स्थिति में ज्यादा गर्मी, ऑक्सीजन की कमी और कार्बन मोनो ऑक्साइड की अधिकता से गर्भवती बेहोशी हो सकती है। जान का खतरा भी हो जाता है। यह भ्रूण के लिए स्थिति घातक होती है।
डॉ. निम्मी बेगम, मुख्य चिकित्साधीक्षक, जिला महिला अस्पताल