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इस तरह हराएं हेपेटाइटिस को..

मूलचंद मेडिसिटी, नई दिल्ली में सीनियर कंसल्टेंट गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट डॉ. संजय जैन के अनुसार हेपेटाइटिस के पांच प्रकार-ए.,बी., सी, डी और ई- होते हैं। हेपेटाइटिस ए. और ई प्रदूषित खाद्य व पेय पदार्र्थो के सेवन से होता है। वहींबी और सी हेपेटाइटिस रक्त के जरिये होता है। रक्त व रक्त के उत्पाद जैसे प्

By Edited By: Published: Tue, 22 Jul 2014 11:56 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jul 2014 11:56 AM (IST)
इस तरह हराएं हेपेटाइटिस को..

मूलचंद मेडिसिटी, नई दिल्ली में सीनियर कंसल्टेंट गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट डॉ. संजय जैन के अनुसार हेपेटाइटिस के पांच प्रकार-ए.,बी., सी, डी और ई- होते हैं।

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हेपेटाइटिस ए. और ई प्रदूषित खाद्य व पेय पदार्र्थो के सेवन से होता है। वहींबी और सी हेपेटाइटिस रक्त के जरिये होता है। रक्त व रक्त के उत्पाद जैसे प्लाज्मा में प्रदूषित सिरिंज के इस्तेमाल से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण होना। इसी तरह संक्रमित व्यक्ति द्वारा रक्तदान करने से भी यह रोग संभव है। डॉ.संजीव सहगल के अनुसार टैटू गुदवाना, किसी संक्रमित व्यक्ति का टूथब्रश और रेजर इस्तेमाल करना और असुरक्षित शारीरिक संपर्क से हेपेटाइटिस बी व सी होने का जोखिम बढ़ जाता है। लंबे समय तक शराब पीने की लत भी हेपेटाइटिस का कारण बन सकती है।

वहीं डॉ.जैन के अनुसार हेपेटाइटिस डी उन मरीजों को होता है, जो पहले से ही हेपेटाइटिस बी से ग्रस्त हैं।

लक्षण

-पीलिया होना।

-भूख न लगना।

-बुखार रहना।

-पेट में दर्द रहना।

-उल्टियां होना।

बचाव

-सिर्फ हेपेटाइटिस ए और बी से बचाव के लिए टीके (वैक्सीन्स) उपलब्ध हैं।

-पानी उबालकर या फिल्टर कर

पिएं।

-खाद्य व पेय पदार्र्थो की स्वच्छता का ध्यान रखें।

हेपेटाइटिस बी और सी का इलाज

बी.एल.के. हॉस्पिटल, नई दिल्ली के सीनियर सर्जिकल गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट डॉ. दीप गोयल कहते हैं कि इन दोनों हेपेटाइटिस की तीन स्थितियां हो सकती हैं..

पहली स्थिति: इसमें बीमारी तो होती है, लेकिन वह स्वत: ठीक हो जाती है।

दूसरी स्थिति: हेपेटाइटिस बी और सी का वाइरस लिवर में लगातार सूजन पैदा करता रहता है। यह स्थिति अगर छह माह तक चले, तो इसे मेडिकल भाषा में क्रॉनिक हेपेटाइटिस कहते हैं। इस अवस्था में बीमारी का दवाओं से इलाज संभव है।

तीसरी स्थिति: बीमारी तो होती है, लेकिन तात्कालिक तौर पर मरीज उस बीमारी को महसूस नहीं करता, लेकिन अगर वाइरस लिवर में बरकरार रह गए, तो वे कालांतर में लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर का कारण बनते हैं।

चौथी स्थिति: लिवर अचानक काम करना बंद कर देता है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में एक्यूट लिवर फेल्यर कहते हैं। यह स्थिति जानलेवा होती है और इसका इलाज लिवर ट्रांसप्लांट है।

हेपेटाइटिस बी कैरियर: शरीर में हेपेटाइटिस बी का संक्रमण हुआ, लेकिन वाइरस लिवर को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है, किंतु वह वाइरस लिवर से बाहर भी नहीं हुआ है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में हेपेटाइटिस कैरियर कहते हैं।

हेपेटाइटिस ए और ई का इलाज

डॉ.जैन और गोयल दोनों का ही मानना है कि हेपेटाइटिस ए और ई के इलाज की कोई सुनिश्चित दवा नहीं है। लक्षणों के आधार पर ही इन दोनों हेपेटाइटिस का इलाज किया जाता है। जैसे बुखार के लिए दवा अलग से दी जाती है और पेट दर्द के लिए अलग से।

दूर करें गलत धारणा

हेपेटाइटिस बी और सी का वाइरस हाथ मिलाने, खाने के बर्तनों और पानी पीने के गिलासों का इस्तेमाल करने से नहीं फैलता। इसी तरह यह वाइरस छींकने, चूमने और गले मिलने से भी नहीं फैलता।

डाइट पर दें ध्यान

हेपेटाइटिस के रोगियों की समुचित डाइट उनकी बीमारी की स्थिति, उम्र और उनके वजन पर निर्भर करती है।

इस संदर्भ में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

वसा(फैट): वसायुक्त खाद्य पदार्र्थो या चिकनाईयुक्त खाद्य पदार्र्थो से परहेज करें या फिर इन्हें कम मात्रा में लें।

कार्बोहाइड्रेट्स: रोगी की ऊर्जा संबंधी बढ़ी हुई जरूरतों की पूर्ति के लिए उसे समुचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स की जरूरत होती है। इसके लिए उसे खाने के लिए रोटी दें। मरीज जितना खा सके, उसे उतना ही खाने दें। धीरे-धीरे उसकी भूख जब खुलेगी, तो वह इच्छा के अनुसार रोटियां खाने लगेगा।

मरीज को फल दें और घर में तैयार किए गए फलों का रस पिलाएं। पीड़ित व्यक्ति आलू खा सकते हैं, लेकिन तले-भुने रूप में नहीं। सब्जियों को अच्छी तरह से धोएं। मरीज मूली भी ले सकते हैं। छिली हुई सब्जियों को भी अच्छी तरह से धुलें ताकि भविष्य में कोई संक्रमण न हो सके।

शराब से परहेज: किसी भी तरह की शराब लिवर की शत्रु होती है। इसके सेवन से मर्ज बढ़ता है।

पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स: एक निश्चित अंतराल पर रोगी को पर्याप्त मात्रा में पानी, तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स (जैसे सोडियम और पौटेशियम) देना चाहिए।

हेपेटाइटिस के संदर्भ में कुछेक भ्रांतियां व्याप्त हैं, जिनका निराकरण जरूरी है..

मिथ: कुछ लोगों का मानना है कि लिवर से संबंधित रोगों में किसी भी रूप में हल्दी के सेवन से परहेज करना चाहिए..

तथ्य: ऐसी धारणा गलत है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हल्दी में एंटीवाइरल (वाइरस प्रतिरोधी), एंटी इनफ्लैमैटरी(सूजन कम करने वाले)और जीवाणुरोधी तत्व पाए जाते हैं। इसलिए हल्दी का सेवन लाभप्रद है।

मिथ: गन्ने का रस पीना लिवर के लिए लाभप्रद है।

तथ्य: गन्ने के रस का सेवन लिवर के लिए लाभप्रद है, लेकिन लाभ पहुंचाने के बजाय यह नुकसान ज्यादा पहुंचाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अधिकतर मामलों में इसे अस्वच्छ व अस्वास्थ्यकर स्थितियों में तैयार किया जाता है।

(प्रस्तुति: विवेक शुक्ला)

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