ब्रॉन्कोस्कोपी : आसानी से पता चल सकता है फेफड़ों के रोगों का
ब्रॉन्कोस्कोपी होने में कम से कम 30 से 60 मिनट तक का समय लगता है। इसके बाद कम से कम एक से तीन घंटे तक व्यक्ति को रिकवरी रूम में ही रहना पड़ता है।
फेफड़ों की जांच करने का एक आसान परीक्षण है। इस प्रक्रिया में एक छोटी ट्यूब नाक या मुंह द्वारा आपके फेफड़ों में डाली जाती है। यह परीक्षण फेफड़ों की बीमारी की जांच करने या बलगम हटाने के लिए किया जाता है।
इसमें टिश्यू का एक छोटा टुकड़ा निकालकर उसकी प्रयोगशाला में जांच की जाती है। इसे दूसरी भाषा में बायोप्सी भी कहते हैं। ब्रॉन्कोस्कोपी होने में कम से कम 30 से 60 मिनट तक का समय लगता है। ब्रॉन्कोस्कोपी के बाद कम से कम एक से तीन घंटे तक व्यक्ति को रिकवरी रूम में ही रहना पड़ता है।
दो प्रकार
ब्रॉन्कोस्कोपी का पहला प्रकार है-फ्लेक्सिबल (लचीली) ब्रॉन्कोस्कोपी और दूसरा रिजिड (कठोर) ब्रॉन्कोस्कोपी। फ्लेक्सिबल ब्रॉन्कोस्कोपी के अंतर्गत एक लम्बी, पतली और लचीली लाइट लगी ट्यूब को सांस मार्ग में पहुंचा कर, जांच की जाती है। इस जांच के दौरान आम तौर पर, जनरल एनस्थीसिया की जरूरत नहीं पड़ती। इसके द्वारा, बायोप्सी में छोटे टिश्यूज को भी निकाला जा सकता है। वहीं रिजिड ब्रॉन्कोस्कोपी जनरल एनेस्थीसिया (बेहोशी) के बाद की जाती है, और इसमें, एक सीधी, खोखली धातु की ट्यूब के द्वारा जांच की जाती है।
ब्रॉन्कोस्कोपी का प्रयोग
सांस नली की समस्याएं जैसे सांस लेने में तकलीफ या पुरानी पड़ चुकी खांसी का पता लगाने के लिए ब्रॉन्कोस्कोपी का प्रयोग किया जाता है। यदि एक्स-रे या सीटी स्कैन के द्वारा, छाती, लिम्फनोड या फेफड़ों में कोई तकलीफ पाई गई हो, तो उन जगहों से जांच के लिए बलगम या टिश्यूज के सैंपल निकालने के लिए भी ब्रॉन्कोस्कोपी का प्रयोग किया जाता है।
ब्रॉन्कोस्कोपी जांच पल्मोनोलॉजिस्ट (सांस रोग विशेषज्ञ) और उनके एक सहायक के द्वारा की जाती है। इस जांच के दौरान मरीज के ब्लड प्रेशर और शरीर में ऑक्सीजन के स्तर की भी जांच होती है अथवा जांच से पहले और बाद में चेस्ट एक्स-रे भी किया जाता है। टिश्यू सैंम्पल की जांच के दौरान, फेंफड़ों का संक्रमण या अन्य कोई बीमारी सामने आ सकती है जैसे टीबी या फेंफड़ों का कैंसर।
हो जाएं सजग
ब्रॉन्कोस्कोपी की जांच के बाद अनेक रोगियों में कुछ समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जैसे यदि बलगम के साथ 2 चम्मच (30 मिलीलीटर) से ज्यादा रक्त की मात्रा निकले या सांस लेने में तकलीफ हो या फिर 24 घंटे से ज्यादा वक्त तक बुखार आना जैसी समस्याएं हों, तो अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें। जांच के बाद यह ध्यान रखें कि जब तक आपके गले का सुन्न होना खत्म नहीं हो जाता और आप निगलने में सक्षम नहीं हो जाते, तब तक आप कुछ खा या पी नहीं सकते हैं और इसमें कम से कम 1 से 2 घंटों का समय लगता है। इसके बाद आप अपनी सामान्य डाइट को फिर से शुरू कर सकते हैं।
डॉ. प्रशांत सक्सेना, हेड: पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट,
मैक्स हॉस्पिटल, नई दिल्ली
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