डायबिटीज, कैंसर और हेपेटाइटिस की दवाएं महंगी
केंद्र सरकार ने दवा कंपनियों को 1 अप्रैल से 509 जरूरी दवाओं के दाम ब़ढाने की अनुमति दे दी है। ये दवाएं डायबिटीज, हेपेटाइटीस और कैंसर के इलाज में उपयोग की जाती हैं। इनकी कीमतों में 3.84 प्रतिशत की ब़ढोतरी होगी।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दवा कंपनियों को 1 अप्रैल से 509 जरूरी दवाओं के दाम ब़ढाने की अनुमति दे दी है। ये दवाएं डायबिटीज, हेपेटाइटीस और कैंसर के इलाज में उपयोग की जाती हैं। इनकी कीमतों में 3.84 प्रतिशत की ब़ढोतरी होगी।
राष्ट्रीय दवा कीमत प्राधिकरण ([एनपीपीए)] ने दवाओं की कीमतें ब़$ढाने के लिए नोटिस जारी कर दिया है। थोक मूल्य सूचकांक 2014 के अनुसार दवा कीमत नियंत्रण आदेश 2013 के तहत ये नोटिस जारी किया गया है। जो दवाएं महंगी होंगी, उनमें अल्फा इंटरफेरोन इंजेक्शन भी शामिल है जो बी और सी क्लास हेपेटाइटिस, कैंसर के कुछ प्रकार के उपचार में काम आता है। इसके अलावा कैंसर के इलाज में उपयोगी कार्बोप्लेटिन इंजेक्शन, फंगल इन्फेक्शन में उपयोगी फ्लूकोनाझोल,एमोक्सिसिलिनकैप्सूल भी महंगा हो जाएगा। सूची में कंडोम भी शामिल है।
साल में एक बार ही ब़ढते हैं दाम
इंडियन फार्मास्यूटिकल एलाएंस के महासचिव डीजी शाह ने इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह नीति का अंग है। दवा कंपनियों को साल में एक बार ही दवाओं के दाम ब़ढाने का मौका मिलता है। वर्तमान में सरकार 348 दवाओं के दाम नियंत्रित करती है। इसके अलावा अन्य दवाओं के दाम साल में एक बार दस प्रतिशत तक ब़ढाए जा सकते हैं। 15 मई 2014 से सरकार ने 680 दवाओं को कीमत नियंत्रण प्राधिकरण के तहत कर दिया है। इसके पहले 1995 के ऑर्डर के तहत केवल 74 दवाओं की कीमत सरकार के नियंत्रण में थी।