पराली जलाई तो दंड, नहीं जलाई तो मिलेगा इनाम
संजय निधि, सोनीपत धान की फसल की कटाई शुरू हो चुकी है। आशंका है कि पिछले कुछ वर्षों
संजय निधि, सोनीपत
धान की फसल की कटाई शुरू हो चुकी है। आशंका है कि पिछले कुछ वर्षों की तरह इस बार भी फसल कटाई के बाद यदि किसानों ने उसके अवशेष (पराली) को खेतों में जलाना शुरू किया तो फिर जबरदस्त वायु प्रदूषण की समस्या से दो-चार होना पड़े सकता है। इसको लेकर कृषि व अन्य संबंधित विभागों को अभी से गांवों में जाकर जागरूकता अभियान चलाने को कहा गया है। यही नहीं किसानों को प्रेरित करने के लिए सरकार की ओर से पराली नहीं जलाने वाली ग्राम पंचायत को 50 हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा। साथ ही पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के अलावा उनसे जुर्माना भी वसूला जाएगा।
उपायुक्त के मकरंद पांडुरंग ने इस संबंध में पुलिस अधीक्षक, सभी एसडीओ, उप कृषि निदेशक, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी आदि को पत्र भेजकर सूचित किया है। उपायुक्त ने इस संबंध में तत्काल गांवों और ग्राम पंचायतों के सदस्यों को जागरूक करने को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। ज्ञात हो कि किसान खेतों को साफ करने और गेहूं लगाने के लिए जल्दबाजी में पराली को खेतों में जला देते हैं। इससे बड़े पैमाने पर धुआं होता है, जिससे गंभीर वायु प्रदूषण होता है। यही नहीं खेतों में आग लगाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी क्षीण होती है। क्योंकि उसके पोषक तत्व अत्यधिक तापमान के कारण नष्ट हो जाते हैं।
पराली जलाने से केवल नुकसान
जिला कृषि उपनिदेशक डॉ अनिल सहरावत ने बताया कि पराली जलाने से खेती और पर्यावरण दोनों को जबरदस्त नुकसान होता है। उन्होंने बताया कि एक अध्ययन के मुताबिक एक टन पराली जलाने से हवा में तीन किलो कार्बन कण, 1513 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड, 92 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड, 3.83 किग्रा नाइट्रस ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, मीथेन आदि जहरीली गैस निकलती है, जो पर्यावरण के लिए अत्यंत नुकसानदेह हैं। इसके अलावा पराली की आग भूमि की उपजाऊ क्षमता भी क्षीण करती है। इसके कारण भूमि में नाइट्रोजन, सल्फर सहित अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। यही नहीं मिट्टी में पाये जाने वाले मित्र कीट भी अत्यधिक गर्मी के कारण नष्ट हो जाते हैं, जिससे शत्रु कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है। आग के कारण मिट्टी की ऊपरी परत भी कड़ी होती जाती है, जिससे उसमें पानी सोखने की क्षमता भी कम होती जाती है।
मुकदमा झेलने के साथ देना होगा जुर्माना
फसलों के अवशेष जलाने से पर्यावरण को लेकर बनाए गए कानून में मुकदमा के अलावा जुर्माना का भी प्रावधान है। स्थानीय स्तर पर एफआइआर के अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संबंधित किसान से जुर्माना भी वसूलने का प्रावधान है। इसके तहत दो एकड़ तक के खेत में आग लगाने पर ढाई हजार, दो से पांच एकड़ तक के खेत के लिए पांच हजार और पांच एकड़ से ज्यादा के खेत की पराली में आग लगाने पर 15 हजार रुपये जुर्माना वसूला जाता है।