हाईकोर्ट की टिप्पणी, जब जाट पिछड़े ही नहीं है तो आरक्षण का लाभ कैसे दे सकते हैं
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करतेे हुए कहा कि जब जाट पिछडे ही नहीं हैंं तो उन्हें आरक्षण कैसे दे सकते हैंं। जानें क्यों कहा कोर्ट ने ऐसा ?
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि जब जाट पिछड़े ही नहीं हैं तो उन्हें आरक्षण का लाभ कैसे दिया जा सकता है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए सिंगल बेंच के उन आदेशों को खारिज कर दिया, जिसके तहत सामान्य वर्ग में आवेदन करने वाली कविता देवी व अन्य को जाट होने के चलते ओबीसी के तहत काउंसलिंग में शामिल होने की मंजूरी दी गई थी।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार ने राम सिंह केस में केंद्र में जाटों का आरक्षण समाप्त कर दिया था ऐसे में इस नोटिफिकेशन के आधार पर किसी छात्र को प्रवेश देने का सवाल ही नहीं उठता। मामले में याचिका दाखिल करते हुए सीबीएसई की ओर से सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती दी गई थी।
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सीबीएसई की ओर से कहा गया कि 1 दिसंबर 2013 में नोटिफिकेशन जारी करते हुए एमबीबीएस में प्रवेश के लिए आवेदन मांग गए थे। इस दौरान रिट पिटिशन के याचियों ने सामान्य श्रेणी के तहत आवेदन किया था। इसी दौरान 4 मार्च 2014 को केंद्र सरकार ने जाटों को ओबीसी में शामिल करने की नोटिफिकेशन जारी कर दी। इसके बाद 7 जून 2014 को एमबीबीएस का रिजल्ट जारी किया गया।
इस रिजल्ट में क्वालीफाई होने के बाद याची छात्रों की ओर से अपनी श्रेणी को सामान्य से बदल कर ओबीसी करने की अपील की गई थी। ओबीसी के तौर पर कंसीडर न करने के सीबीएसई के फैसले को सिंगल बेंच के सामने चुनौती दी गई थी।
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सिंगल बेंच को सीबीएसई ने बताया कि एमबीबीएस का रिजल्ट घोषित होने से पूर्व छात्रों को कैटेगिरी चेंज करने का मौका दिया गया था। हाईकोर्ट ने इस पर सीबीएसई को इससे जुड़े दस्तावेज पेश करने को कहा गया था। इन दस्तावेजों की अनुपस्थिति में सीबीएसई को आदेश जारी करते हुए छात्रों को ओबीसी का लाभ देने के निर्देश दिए गए थे।
इन सिंगल बेंच के आदेशों को सीबीएसई ने डिवीजन बेंच में चुनौती दी। मामले में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सुदीप आहलुवालिया की खंडपीठ ने सीबीएसई की अपील को मंजूर करते हुए कहा कि राम सिंह मामले में केंद्र सरकार की जाटों को ओबीसी के तहत आरक्षण देने की नोटिफिकेशन खारिज हो चुकी है।
ऐसे में सिंगल बेंच में याचिका दाखिल करने वाले छात्रों का क्लेम माना नहीं जा सकता है। इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने जाटों को ओबीसी के तहत दिए गए एडमिशन लाभ को समाप्त कर दिया।