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हरियाणा पंचायत चुनाव : सरकार सरपंचाें की भूमिका को बनाएगी आधार

हरियाणा के पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू करने के पीछे सरकार ने ठोस तर्क तैयार किए हैं। बुधवार को सरकार सुप्रीम कोर्ट में पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता के अपने फैसले को जारी रखने की मजबूत दलीलें पेश करेगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2015 01:44 PM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2015 11:49 AM (IST)
हरियाणा पंचायत चुनाव : सरकार सरपंचाें की भूमिका को बनाएगी आधार

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा के पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू करने के पीछे सरकार ने ठोस तर्क तैयार किए हैं। बुधवार को सरकार सुप्रीम कोर्ट में पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता के अपने फैसले को जारी रखने की मजबूत दलीलें पेश करेगी।

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सरकार का कहना है कि सांसदों और विधायकों को कानून बनाने का अधिकार तो है, लेकिन सरपंच पर गांव के विकास का जिम्मा होता है और उसे चेक पर हस्ताक्षर करने की शक्तियां हैं। ऐसे में सरपंच-पंच का पढ़ा लिखा होना जरूरी है।

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पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू रहनी चाहिए अथवा इसे खत्म कर दिया जाए, इस अहम मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में 7 अक्टूबर को सुनवाई होनी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दूसरे राज्यों में नजीर के तौर पर पेश किया जाएगा और एमपी-एमएलए के लिए भी शैक्षणिक योग्यता लागू करने का रास्ता तैयार होगा।

प्रदेश सरकार ने एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन और एडिशनल एडवोकेट जनरल लोकेश सिंघल के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब तैयार कर दिया है। यह 7 अक्टूबर को बहस के दौरान रिकार्ड पर आएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल, विकास व पंचायत मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ तथा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव नवराज संधू के साथ लंबे विचार विमर्श के बाद यह जवाब तैयार किया गया है।

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भारत के अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरकार की तरफ से पंचायत चुनाव में शिक्षा की अनिवार्यता पर बहस करेंगे। सरकार सुप्रीम कोर्ट को बताएगी कि आदर्श गांव, भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था, ग्राम सचिवालय, ई-पंचायत और इंटरनेट फ्रेंडली गांवों की सरकार पढ़े लिखे जनप्रतिनिधियों के बिना संभव नहीं है। निरक्षर व्यक्तियों से विकासशील व्यवस्था की कल्पना नहीं की जा सकती।

सुप्रीम कोर्ट में यह भी पेश की जाएंगी दलीलें
- हरियाणा सरकार को एमपी-एमएलए के लिए कानून बनाने की पावर नहीं है। वह सिर्फ सरपंच-पंच के लिए ही कानून बना सकती है।
- शैक्षणिक योग्यता की शर्त एमपी-एमएलए पर लागू नहीं होती। सिर्फ पंचायत चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों पर लागू होती है।
-एमपी और एमएलए तथा सरपंच सभी की पावर अलग-अलग है। दिक्कत वहां होती है, जब एक ही सरकार को एमपी-एमएलए और सरपंच के लिए कानून बनाने का अधिकार होता और इस पावर के बावजूद एमपी-एमएलए के लिए कानून नहीं बनाया जाता तथा सरपंच के लिए बना दिया जाता।

- एमपी-एमएलए कानून बनाते हैं जबकि सरपंच गांव की सरकार चलाते हैैं। दोनों में वैधानिक अंतर है।
- सरपंच के चेक पर हस्ताक्षर होते हैैं। इसके लिए पढ़ा लिखा होना जरूरी है वरना भ्रष्टाचार होने अथवा गलत राशि निकलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। पिछले सालों में चल रहे गबन व भ्रष्टाचार के केस इसके बड़े उदाहरण हैैं।

- सरपंच के साथ ग्राम सचिव अटैच रहता है। वह पढ़ा लिखा होता है, जिस कारण सरपंच व पंच की समस्त शक्ति का इस्तेमाल वह अपनी मर्जी से करता रहता है या फिर जनप्रतिनिधियों के पढ़े लिखे रिश्तेदार उनकी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। यह उचित नहीं है।
- सरकार आठवीं तक शिक्षा मुफ्त देने की पक्षधर है और दे भी रही है। इस कानून के लागू करने के पीछे सभी को पढ़ा लिखा बनाने की सोच भी काम कर रही है।

दमदार पैरवी का खाका हो चुका तैयार
हमने सुप्रीम कोर्ट में दमदार पैरवी का खाका तैयार कर लिया है। हम पूरी जिम्मेदारी के साथ सुप्रीम कोर्ट में बहस करेंगे। अटार्नी जनरल हरियाणा सरकार की तरफ से पैरवी कर अदालत के सामने पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू करने के पीछे की सोच रखेंगे।
- बलदेव महाजन, एडवोकेट जनरल, हरियाणा

कानून के पीछे प्रोग्रेसिव सोच
हरियाणा सरकार का कानून प्रोग्रेसिव लेजिसलेटिव का बड़ा प्रारूप है। हम यही अदालत को बताने वाले हैं। हमारा कानून लागू होने से न केवल प्रदेश में शिक्षित लोगों की संख्या बढ़ेगी बल्कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। दरअसल, एमपी-एमएलए के लिए कानून बनाने की अध्ािकार और सरपंच के लिए कानून बनाने का अधिकार यदि एक ही सरकार को होती और वह इन दोनों के लिए कानून बनाने में भेदभाव करती, तब दिक्कत आती है, मगर ऐसा नहीं है। मैैं खुद अटार्नी जनरल के साथ सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरकार का प्रतिनिधित्व करूंगा।
- लोकेश सिंघल, एडिशनल एडवोकेट जनरल, हरियाणा


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