सतलोक आश्रम में करंट लगने से युवक की मौत
संवाद सूत्र, बरवाला : संत रामपाल के सतलोक आश्रम में करंट लगने से एक युवक की मौत हो गई। युवक की मौत के बाद आश्रम वालों ने स्थानीय पुलिस को सूचित नहीं किया। बल्कि मृतक का शव लेकर भिवानी उसके घर पहुंच गए और उसका शव सीधे उसके घर पहुंचा दिया। मृतक के अभिभावकों ने युवक का भिवानी में पोस्टमार्टम कराया। घटना की सूचना इससे पूर्व भिवानी पुलिस को दी गई। भिवानी पुलिस ने बरवाला थाना में इसकी सूचना दी। चूंकि घटना बरवाला थाना क्षेत्र की थी तो कार्रवाई के लिए बरवाला पुलिस भिवानी पहुंची। इसके बाद भिवानी में ही उसका पोस्टमार्टम कराया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में युवक की मौत करंट लगने से बताई गई है। यहा घटना 19 जून रात को हुई बताई गई है।
भिवानी का रहने वाला था मृतक
बरवाला पुलिस के एएसआई भजन लाल जांच अधिकारी ने बताया मृतक सौरभ (21) पुत्र आत्मप्रकाश अविवाहित भिवानी का रहने वाला था। वो बरवाला के सतलोक आश्रम का साधक था तथा यहां आता जाता था। भिवानी पुलिस द्वारा सूचना मिलने के बाद वो जांच के लिए भिवानी गए। वहां पर पोस्टमार्टम कराया गया।
पोस्टमार्टम में उसकी मौत करंट लगने से हुई बताई गई है। डाक्टरी रिपोर्ट आने के बाद अभिभावक संतुष्ट हुए। मृतक सौरभ की माता आशारानी के बयान पर 173 की कार्रवाई कर शव परिजनों के हवाले कर दिया गया। जांच अधिकारी के अनुसार परिजनों ने इस संदर्भ में किसी भी प्रकार का कोई आरोप फिलहाल नही लगाया है।
दस दिन के भीतर दूसरी मौत
10 दिन के भीतर ही सतलोक आश्रम में दूसरी मौत ने आश्रम को एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है। 19 जून की रात को हुई भिवानी के सौरभ की मौत की स्थानीय पुलिस को सूचना नही देना व शव को सीधे उसके घर भेजने के कारण आश्रम पर सवालिया निशान लग गया है। इस संदर्भ में पुलिस का भी मानना है कि आश्रम वालों से यह पूछताछ की जाएगी कि सौरभ को आश्रम में आखिर किस प्रकार करंट लगा।
पहले भी लग चुके गंभीर आरोप
9 जून की रात को भी सतलोक आश्रम में राजस्थान के जिला जोधपुर के गांव कापरडा निवासी 95 वर्षीय जगदीश की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। तब मृतक के भाई संजय ने कई प्रकार के गंभीर आरोप लगाए थे। तब भी मृतक के घर फोन पर सूचना दी गई थी। कि आश्रम में जगदीश की मौत हो गई है और उसका शव आपके गांव भेजा जा रहा है। परंतु संजय ने उन्हें रोका और शव लेने स्वंय आए थे। उस समय मृतक जगदीश के भाई संजय ने भी आरोप लगाया था कि उसका भाई बीमार नही था। उसे मानसिक रूप से बीमार बताकर उसे रस्सी से बांधने का आरोप लगाया था। परंतु संत रामपाल के भाई महेंद्र दास ने मृतक के भाई के आरोपों को गलत बताया था उन्होंने कहा था कि वो पागल था, नशा करने का आदी था।
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