घोषणाओं का आदर्श और माडर्न स्टेशन
नवीन गौतम, गुड़गाव :
तेज बदलाव के दौर में 'आदर्श' और 'माडर्न' का पर्याय बन चुकी साइबर सिटी गुड़गाव को उसी का रेलवे स्टेशन लगातार चुनौती पेश कर रहा है। रेल बजट में ऐलान और रेल मंत्रियों के आश्वासनों के बावजूद दोनों शब्द रेलवे स्टेशन को मुंह भी चिढ़ा रहे हैं। अब रेल राज्यमंत्री अधीर रंजन के 24 अक्टूबर के दौरे और घोषणाओं के बाद यह मुद्दा एकबार फिर जीवंत हो उठा है।
उत्तर रेलवे से सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त जानकारी घोषणाओं के आदर्श और माडर्न स्टेशन की हकीकत बया कर रही है। दैनिक रेल यात्री संगठनों सहित अन्य सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक संगठन स्टेशन सुधारने के लिए लंबे समय से आवाज उठा रहे हैं। पिछले 10 वषरें से यह मुद्दा संसद और विधानसभा में कई बार उठ चुका है।
रेल बजट में दो बार घोषणा
जन दबाव और जन प्रतिनिधियों की माग पर वर्ष 2007-08 और 2009-10 के रेल बजट में गुड़गाव को 'आदर्श स्टेशन' बनाने की घोषणा तो की गई पैसे नहीं उपलब्ध कराए जा सके। रेलवे बोर्ड ने 50 लाख रुपये की लागत से वर्ष 2013-14 तक काम पूरा करने की योजना भी तैयार कर ली थी।
ट्रेन कम यात्री ज्यादा
एक दशक पहले तक गुडगाव रेलवे स्टेशन से 27 पैसेंजर व एक्सप्रेस ट्रेनें गुजरती थीं जिनमें गुडग़ाव, पटौदी, गढ़ी हरसरू, सहित कई स्टेशनों से 20 हजार दैनिक यात्री सफर करते थे। वर्तमान में करीब 70 हजार यात्री रोजाना सफर कर रहें हैं। ट्रेन और बोगियों की कमी के कारण छत पर भी बैठने की जगह नहीं होती।
सुविधा नहीं बढ़ीं, हादसे बढ़े
यात्री अधिक और ट्रेन कम होने दिल्ली से रेवाड़ी के बीच हादसे भी अधिक हो रहे हैं। इसी साल 139 (24 अक्टूबर तक) यात्री हादसे का शिकार हुए हैं। अधिकाश मामलों में कोई छत से गिरकर मरा तो कोई पायदान से टपक गया।
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.. जो नहीं हो सका
- सीसीटीवी कैमरे की योजना सिरे नहीं चढ़ी
- सफाई कर्मी की कमी के चलते शौचालय बंद
-पार्किंग की समस्या
- वेटिंग रूम में भिखारी आराम करते हैं
- कैंटीन की सुविधा नहीं
- यात्रियों की संख्या देखते हुए दो ब्रिज और चाहिए
- ट्रेनों के आवागमन की सूचना नहीं दी जाती
- प्लेटफार्म पूरी तरह से कवर्ड नहीं
- पीक आवर्स में गुडग़ाव-दिल्ली के बीच दो पैसेंजर ट्रेन नहीं चली
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