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किसानों ने पहले बिल नहीं लिए, अब जीएसटी से बढ़ी दिक्कत

प्राइम इंट्रो : सरकार की अपील है कि किसान धान के अवशेष जलाएं नहीं, बल्कि प्रबंधन करें। प्रब

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Oct 2017 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 06 Oct 2017 03:00 AM (IST)
किसानों ने पहले बिल नहीं लिए, अब जीएसटी से बढ़ी दिक्कत

प्राइम इंट्रो : सरकार की अपील है कि किसान धान के अवशेष जलाएं नहीं, बल्कि प्रबंधन करें। प्रबंधन में इस्तेमाल होने वाले यंत्रों पर सरकार 40 से 50 फीसद सब्सिडी देती है। मगर किसानों का कहना है कि सब्सिडी की राशि जीएसटी में खर्च हो जाती है। इस तथ्य में कितनी सच्चाई है और जीएसटी से सब्सिडी पर क्या असर पड़ा है? इसी सवाल का जवाब जानने के लिए दैनिक जागरण ने की पड़ताल। प्रस्तुत है ये रिपोर्ट ..

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--प्रदीप जांगड़ा, फतेहाबाद: कृषि मंत्री ओपी धनखड़ बीते रविवार को फतेहाबाद में आए थे। तब किसानों ने ज्ञापन दिया था। किसानों की मांग थी कि कृषि यंत्रों की खरीद पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए। तर्क ये था कि सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी जीएसटी में खर्च हो जाती है। वे कहते हैं कि या तो सरकार सब्सिडी बढ़ाए या फिर जीएसटी हटाए। आखिर जीएसटी से सब्सिडी पर कितना असर पड़ा है और किसानों की मांग कितनी जायज है। यही पड़ताल करने के लिए दैनिक जागरण संवाददाता ने शहर के कुछ कृषि यंत्र विक्रेताओं से बात की। दुकानदारों की मानें तो जीएसटी से सब्सिडी पर कोई खास असर नहीं पड़ रहा। असर उन पर पड़ा है, जिन्होंने समय पर बिल नहीं लिया। दरअसल, जीएसटी 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ था। काफी किसानों ने कृषि यंत्र जीएसटी लागू होने से पहले खरीदे थे। उन्होंने समय पर बिल नहीं लिया। 1 जुलाई के बाद बगैर जीएसटी के बिल काटा नहीं जा सका। जब बाद में बिल लिया तो उसमें 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई। इसलिए काफी किसान जीएसटी से नाराज हैं। यदि यंत्र की खरीद के समय बिल लेते तो कोई परेशानी ही नहीं थी। अब सरकार चाहती है कि किसान धान के अवशेषों को न जलाएं। क्योंकि इससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। इसलिए प्रबंधन में इस्तेमाल होने वाले यंत्र अनुदान पर मिलेंगे। इसके लिए 6 से 25 अक्टूबर तक आवेदन लिए जाएंगे। आवेदन करने के बाद कृषि विभाग ड्रा निकालेगा। फिर उन्हीं किसानों को सब्सिडी मिलेगी।

--यह है जीएसटी का फार्मूला

किसानों का कहना है कि जितनी सब्सिडी मिलती है, उतना जीएसटी लग जाता है। लेकिन आंकड़ों में समझें तो यह तर्क गलत है। मान लीजिए, एक कृषि यंत्र की कीमत पहले एक लाख रुपये थी। उस पर 40 हजार रुपये सब्सिडी मिलती थी। अब 12 प्रतिशत जीएसटी जुड़ जाता है। यानी वह यंत्र 1.12 लाख रुपये का मिलेगा। इस राशि का 40 फीसद सब्सिडी मिलेगी। यानी अब करीब 44800 रुपये सब्सिडी मिलेगी। किसानों को पहले 60 हजार रुपये देने पड़ते थे। अब उसे करीब 65 हजार रुपये देने पड़ेंगे।

--इतना मिलता है अनुदान

50 फीसद : एससी, एसटी, छोटे कृषक व महिला को मिलता है।

40 फीसद : इस श्रेणी में बाकी सभी किसान आते हैं।

--ये हैं उपकरणों की कीमतें

रोटावेटर : 95 हजार से 1.10 लाख

जीरो ड्रिल : 45 से 55 हजार

स्ट्रा रीपर : 2.25 से 2.50 लाख

स्ट्रा चॉपर : 2 से 2.25 लाख

हैपी सीडर : 1.25 से 1.50 लाख

रिवर्सिबल प्लो : 1.00 से 1.50 लाख

--सब्सिडी के लिए देनी होंगी नौ जानकारियां

किसान इन यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी का लाभ लेने के लिए आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के साथ नौ तरह के दस्तावेज वेबसाइट पर अपलोड करने होंगे। किसानों को अपने ट्रैक्टर का पंजीकरण प्रमाण पत्र देना होगा। इसके अलावा पटवारी रिपोर्ट, आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, मोबाइल नंबर, जाति प्रमाण पत्र, पैन नंबर, कृषि यंत्र के बिल व किसान की फोटो अपलोड करनी होगी। इसके अलावा एक शपथ पत्र अपलोड करना होगा, जिसमें लिखना होगा कि मैंने पिछले पांच साल में कृषि यंत्रों पर कोई सरकारी लाभ नहीं लिया है।

--किसान बिल समय पर लें: गुरनाम ¨सह

जीएसटी लगने के बाद कृषि यंत्रों की कीमत पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इन यंत्रों पर 12 फीसद जीएसटी लगता है। जीएसटी जुड़ने के बाद सब्सिडी मिलती है।

किसानों से अनुरोध है कि जब भी वे कृषि यंत्र की खरीद करें, बिल हाथों हाथ ले लें। कागजी कार्यों में किसी तरह की ढील न बरतें।

-गुरनाम ¨सह, कृषि यंत्र विक्रेता।

--किसान लाभ उठाएं: कृषि अधिकारी

धान के अवशेष जलने के कारण पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचता है। इसलिए सरकार का प्रयास है कि किसानों को अवशेषों का प्रबंधन करने के लिए प्रेरित किया जाए। इसलिए अनुदान पर कृषि यंत्र दिए जाते हैं। किसानों को चाहिए कि ऐसी योजनाओं का लाभ उठाएं।

-बलवंत सहारण, कृषि उप निदेशक।


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