जानिए कैसे अगली पीढ़ी की बैटरी चलेगी चार गुना ज्यादा
मौजूदा लिथियम-सल्फर बैटरी 50 से 100 बार ही रिचार्ज हो सकती है, जो वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत के तौर पर व्यावहारिक नहीं है।
एक भारतीय समेत वैज्ञानिकों की टीम अगली पीढ़ी की रिचार्जेबल बैटरी विकसित करने की सबसे बड़ी बाधा दूर करने में कामयाब हुई है। इससे बैटरी की क्षमता चार गुना तक बढ़ सकती है। साथ ही स्मार्टफोन और इलेक्ट्रानिक वाहनों का वजन भी कम करने में मदद मिल सकती है।
सदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से जुड़े भारतीय मूल के वैज्ञानिक श्री नारायण और डेरेक मोय ने लिथियम-सल्फर बैटरी में कुछ बदलाव किए हैं। इससे यह लिथिमय-ऑयन बैटरी की तुलना में ज्यादा चलने वाली बन सकती है। लंबे समय से माना जाता है कि यह बैटरी लिथिमय-ऑयन बैटरी की तुलना में ऊर्जा संग्रह में बेहतर है। हालांकि इसका कम समय चलना इसकी राह की सबसे बड़ी बाधा थी। इसी वजह से लिथिमय-ऑयन बैटरी ज्यादा पंसद की जाती है।
मौजूदा लिथियम-सल्फर बैटरी 50 से 100 बार ही रिचार्ज हो सकती है, जो वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत के तौर पर व्यावहारिक नहीं है। इसकी तुलना में बाजार में मौजूदा कई बैटरियां 1000 बार तक रिचार्ज की जा सकती हैं। नारायण ने कहा कि इस प्रगति से लिथियम-सल्फर बैटरी के व्यावसायिक इस्तेमाल की सबसे बड़ी तकनीकी बाधा दूर हो गई। इससे दूसरी बैटरियों की तुलना में इसकी क्षमता चार गुना तक बढ़ सकती है।
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यह बैटरी मोबाइल फोन और कंप्यूटर में जगह बचाने के साथ ही भविष्य की इलेक्ट्रानिक कार का वजन कम करने में भी मददगार हो सकती है।