Move to Jagran APP

सकारात्मक सोचें, इक्विटी में करें निवेश

इक्विटी बाजार इन दिनों रिकॉर्ड ऊंचाई पर चल रहे हैं। इससे खुश होने के बजाय भारतीय निवेशक अभी भी ऊहापोह में हैं। वे निवेश से दूर भाग रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि यदि बाजार और ऊपर गए तो फिर गिरावट आ सकती है। लिहाजा वे पशोपेश में हैं कि निवेश किया जाए या नहीं, जबकि

By Edited By: Published: Sun, 30 Mar 2014 06:56 PM (IST)Updated: Mon, 31 Mar 2014 09:53 AM (IST)

इक्विटी बाजार इन दिनों रिकॉर्ड ऊंचाई पर चल रहे हैं। इससे खुश होने के बजाय भारतीय निवेशक अभी भी ऊहापोह में हैं। वे निवेश से दूर भाग रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि यदि बाजार और ऊपर गए तो फिर गिरावट आ सकती है। लिहाजा वे पशोपेश में हैं कि निवेश किया जाए या नहीं, जबकि हकीकत यह है कि इस वक्त निवेश न करना मौके को गंवाना है।

loksabha election banner

दरअसल, निवेशकों का रवैया पिछले अनुभव पर आधारित है। पिछले छह-सात साल में बाजार लगभग स्थिर या उतार-चढ़ाव से ग्रस्त रहा है। ज्यादातर निवेशकों का अनुभव बहुत अच्छा नहीं रहा। ऐसे में उन्हें लगता है कि आगे भी हालात इसी तरह रहेंगे। यही वजह है कि वे चुप्पी साधे हुए हैं। परंतु इतिहास बताता है कि यही मौका है, जब बाजार में निवेश कर अच्छा मुनाफा काटा जा सकता है।

पीछे की ओर देखने वाले निवेशकों से इतर बाजार हमेशा आगे की ओर देखता है। पहले बाजार कैसा था और अब कैसा है, इसमें बड़ा अंतर है। महज 22000 के सेंसेक्स अथवा 6500 के निफ्टी को देखकर यह मत सोचिए कि बाजार अपने चरम पर पहुंच चुका है और अब आगे बढ़त की संभावना नहीं है। हकीकत तो यह है कि बाजार में बहुत सारी सकारात्मक बातें हैं। हाल के घटनाक्रम से संकेत मिलता है कि अभी तो महज शुरुआत हुई है। बाजार में अभी और तेजी आएगी।

कुछ वर्ष पहले वैश्विक संकट के दौरान नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए भारत समेत कई देशों को अत्यंत सख्त कदम उठाने पड़े थे। मगर अब ग्लोबल अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ इन कदमों को वापस लिया जा रहा है। हाल के दिनों में अमेरिका ने बाजार प्रोत्साहन पैकेज की राशि को 85 अरब डॉलर से घटाकर 55 अरब डॉलर प्रति माह कर दिया है। इससे कई लोगों को लगता है कि नकदी प्रवाह घटने से बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसके उलट हकीकत यह है कि ग्लोबल इक्विटी आवंटन में भारत की हिस्सेदारी मात्र 0.5-0.6 फीसद है। दूसरी ओर, वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार भारत के लिए बहुत अच्छा है। इससे हमें फायदा पहुंचेगा।

जहां ज्यादातर विकासशील देशों में निवेश के अत्यंत सीमित अवसर हैं। जैसे कि कमोडिटी बाजार। वहीं, भारत में क्षेत्रों व अवसरों की विविधता है। यही कारण है कि विदेशी वित्तीय संस्थाओं के लिए भारत अब भी निवेश का पसंदीदा देश बना हुआ है।

हाल के दिनों में हमारी अर्थव्यवस्था के बृहत कारक मजबूत होकर उभरे हैं। उदाहरण के लिए चालू खाते का घाटा कम हुआ है, रुपये की कीमत में सुधार हुआ है और महंगाई में भी कमी आई है। हमारे बाजारों के वैल्यूएशन भी काफी आकर्षक बने हुए हैं। अभी एक वर्षीय फॉरवर्ड प्राइस अर्निग (पीई) रेशियो 14 है, जो 2007-08 के उच्चतम स्तर से 50 फीसद से भी कम है। वस्तुत: मौजूदा वैल्यूएशन आठ वर्षीय औसत से भी कम है। इससे पहले 1995-2001 के दौरान बाजार में इस तरह की स्थिति पैदा हुई थी। उस वक्त रिटर्न ज्यादा नहीं थे, लेकिन उसके बाद शानदार रिटर्न का दौर आया था और अगले छह साल में भारतीय बाजारों ने नौ गुना रिटर्न दिया।

भारतीय बाजारों में अगले साल अर्निग ग्रोथ 19 फीसद रहने की उम्मीद है। यह चीन से भी ज्यादा है। चीन में अर्निग ग्रोथ लगभग 14 फीसद है। केंद्र में मजबूत और स्थिर सरकार की संभावना है। उम्मीद की जा रही है कि नई सरकार आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाएगी। इससे अर्थव्यवस्था की विकास दर में और बढ़ने के आसार हैं।

यदि इक्विटी बाजार की मौजूदा स्थिति को उपरोक्त तथ्यों के आलोक में देखें तो इक्विटी में निवेश का मतलब बेहतर समझ में आएगा। निकट भविष्य की सकारात्मक संभावनाओं और पिछले उतार-चढ़ावों को भूल भी जाएं तो भी यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि एक असेट श्रेणी के तौर पर इक्विटी पिछले काफी अरसे से अच्छे रिटर्न दे रही है। बीते 35 साल के दौरान इक्विटी ने 16.5 फीसद का चक्रवृद्धि रिटर्न प्रदान किया है। इसका मतलब हुआ एक लाख रुपये का निवेश इस दौरान बढ़कर दो करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।

इक्विटी उन चुनिंदा असेट श्रेणियों में शामिल है, जिसने न केवल सकारात्मक व वास्तविक रिटर्न दिए हैं, बल्कि संपत्ति का सृजन भी किया है। लिहाजा भले ही बाजार की स्थितियां कुछ भी हों और कोई भी वक्त क्यों न हो, निवेशकों को अपनी दीर्घकालिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए इक्विटी में ही पैसा लगाना चाहिए।

इक्विटी बाजारों में निवेश की शुरुआत के लिए म्यूचुअल फंडों के सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआइपी) सबसे बढि़या तरीका हैं। पिछले दस साल में ज्यादातर म्यूचुअल फंडों ने एसआइपी की संख्या दोगुनी कर दी है। इसलिए आगे बढि़ए और एसआइपी में निवेश प्रारंभ कीजिए। सकारात्मक बनिए और अपना निवेश आज ही कीजिए।

संदीप सिक्का

सीईओ, रिलायंस कैपिटल असेट मैनेजमेंट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.