Move to Jagran APP

फिल्म रिव्यू: जुरासिक वर्ल्ड (3.5 स्टार)

23 साल बाद स्टीवन स्पिलबर्ग एक बार फिर दर्शकों को उसी दुनिया में लेकर गए हैं। जहां पर पानी के चश्मे और हरे रंग के मुरब्बे जैसे दृश्य देखने को मिलते हैं। यह पूरी कल्पना पर आधारित बात ही है। अमेरिका के केंद्र में स्थित आईलैंड है 'इस्ला नबलर'। यह

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2015 08:07 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2015 08:59 AM (IST)

प्रमुख कलाकार: क्रिस प्रैट, ब्राइस डलास हावर्ड, विन्सेंट डी'ओनोफ्रियो, इरफान खान

loksabha election banner

निर्देशक: कॉलिन ट्रेवोरो

23 साल बाद स्टीवन स्पिलबर्ग एक बार फिर दर्शकों को उसी दुनिया में लेकर गए हैं। जहां पर पानी के चश्मे और हरे रंग के मुरब्बे जैसे दृश्य देखने को मिलते हैं। यह पूरी कल्पना पर आधारित बात ही है। अमेरिका के केंद्र में स्थित आईलैंड है 'इस्ला नबलर'। यह पार्क अब सेल्फ-अवेयर तौर पर संचालित होता है। यह इस बात को भी स्वीकार करता है कि 'अब डायनासोर जैसी कोई चीज नहीं है"। मगर बात यदि मॉडर्न वीएफएक्स कि की जाए तो यह बात सही नहीं है।

फिल्म में विलेन के तौर पर मौजूद है एक मॉन्सटर जिसका नाम दिया गया है 'इंडोमिनस रेक्स'। ये एक जेनेटिक मॉडिफाइड क्रिएशन है मगर ऐसा दिखाई नहीं पड़ता। यह और बात है कि ग्राफिक्स डिपार्टमेंट ने कोशिश तो यही की है। कारण कि हम पहले भी इस तरह के दृश्य देख चुके हैं। पिछले दशक में ऐसी कई फिल्में आई जहां पर ऐसा कुछ देखने को मिला। इससे परे इरफान खान का किरदार फिर भी थोड़ा रिअल नजर आता है, बजाए आईलैंड पर मौजूद अजीब-गरीब बात के।

ब्राइस डल्लास होवॉर्ड ने पार्क मैनेजर का किरदार निभाया है। वे क्रिस प्रेट के साथ टीम में हैं। वे उनके ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को रोकना चाहते हैं।

इस फ्रेंचाइजी की दूसरी फिल्मों की तरह यहां भी कुछ दृश्य ऐसे हैं जो आपको हंसने पर मजबूर करेंगे जैसे 'पिरान्हा 3डी' में देखने को मिले थे। अंडर वाटर फिल्माए गए सीन आपको 'डीप ब्लू सी' की याद दिलाते हैं। एकाएक कई बार शॉर्क की याद आती है। इसके बाद फिल्म मेकिंग के बेसिक की तरह ही यहां पर एक हीरो है जो हर बात में लीड करता है। फिल्म में कुछ सीन आपको 'किंगकांग' की भी याद दिलाते हैं।

यह हो सकता है कि कुछ नॉवेल बढ़िया हो सकते हैं। हमेशा उनमें कुछ नया हो सकता है। मगर इस तरह की फ्रेंचाइजी को एक जैसी बनाने की कोशिश नहीं की जाना चाहिए। यदि वो अपने जोनर की नई बात नहीं बताती हो तो तो बिलकुल नहीं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। जैसे टाईटैनिक फिर से बनाना और यात्रियों ने नया वादा करना। कुल मिलाकर फिल्म देखने पर आपके अंदर का बच्चा खुश हो सकता है मगर जहां तक सवाल किसी यंगस्टर की है तो उसे निराशा ही होगी।

किसी भी फिल्म का रिव्यू पढ़ने के लिए क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.