फिल्म रिव्यू : इट फॉलोस (3.5 स्टार)
आप यह कैसे तय करते हैं कि एक अच्छी हॉरर फिल्म कैसी होगी? जिसमें अजीबोगरीब चेहरों के बजाए अच्छे से दर्शाए गए कैरेक्टर हों और जो अच्छी एक्टिंग भी करे। फिल्म का प्लॉट ऐसा हो जो शुरू से लेकर अंत तक आपको बांधे रखे। एक ऐसी फिल्म हो जिसकी बात
हॉरर फिल्म
प्रमुख कलाकार: माइका मोनरो, कियर गिलक्रिस्ट
निर्देशक: डेविड रॉबर्ट मिशेल
स्टार: 3.5
आप यह कैसे तय करते हैं कि एक अच्छी हॉरर फिल्म कैसी होगी? जिसमें अजीबोगरीब चेहरों के बजाए अच्छे से दर्शाए गए कैरेक्टर हों और जो अच्छी एक्टिंग भी करे। फिल्म का प्लॉट ऐसा हो जो शुरू से लेकर अंत तक आपको बांधे रखे। एक ऐसी फिल्म हो जिसकी बात अपने दोस्तों से करें। मगर इस फिल्म के इंटरेस्टिंग होने के पीछे यह कारण नहीं है। यह वो फिल्म है जिसकी चर्चा फेस्टिवल के समय जोरों पर थी।
सुनने में यह भी आया था कि यह सीधे वीओडी पर जाएगी। इसके बाद इस फिल्म को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रिलीज किया गया। इसलिए आप इसे भारत में भी देख पाएंगे। यह अपने आप में एक बड़ी विजय के समान है अगर बात हॉरर फिल्म मेकिंग की हो रही हो तो। फिल्म का डायरेक्शन डेविड रॉबर्ट मिशेल ने किया है।
जिन्हें 80 के दशक में बेहतरीन हॉरर फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है। फिल्म का कंसेप्ट वियर्ड है। एक टीनेजर है जय। जो एक लड़की के साथ अंतरंग संबंध बनाता है। इसके बाद उसके चेहरे पर क्लोरोफाम का नैपकीन लगा देता है। जब वो कुछ देर बाद उठती है तो अपने आप को कुर्सी से बंधा हुआ पाती है। लड़का उसे बताता है कि वहां कुछ बुरे लोग रहते हैं। जो जब कभी भी किसी को अंतरंग संबंध बनाते देखते हैं तो अपना अभिशाप उन्हें दे देते हैं।
फिल्म में एक्सीक्यूशन का ही महत्व होता है। इसलिए यह फिल्म एक बेहतरीन हॉरर फिल्म है। डायरेक्टर ने कैमरे का इस्तेमाल ही इस ढंग से किया है कि फिल्म में होने वाली हर तरह की घटना आप महसूस करते हैं। बालों का हवा में उड़ना हो या फिर धीरे से बढ़ती हुई खामोशी यह सारी वो बातें हैं जो आपको डर को महसूस कराने में कारगर साबित होती है।
इसका बहुत सारा श्रेय तो इस बात को जाता है कि किरदारों का परिचय किस तरह से कराया गया है। मसलन एक किरदार है जो 80 के दशक का लगता है। दूसरा जो है वो 90 के दशक का लगता है। तीसरा जो है वो इसके आगे के दशक का लगता है। यह वो बातें हैं जो फिल्म को रोचक बनाने के साथ ही मजेदार बनाती है।