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फिल्म रिव्यू: क्रीड (3 स्टार)

वार्नर ब्रदर्स जानते हैं कि चालीस साल की उम्र के बाद भी किसी बात को कैसे कैश किया जा सकता है। सिल्वेस्टर स्टेलॉन पिछले कुछ सीक्वल को सफल बनाते आए हैं। इस बार डायरेक्टर नया है। रेयान कूग्लर ने कहानी को स्थापित किया है। नए डायरेक्शन के बाद भी कुछ

By Monika SharmaEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2015 11:57 AM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2015 12:12 PM (IST)

प्रमुख कलाकारः माइकल बी जॉर्डन, सिल्वेस्टर स्टेलॉन
निर्देशकः रेयान कूग्लर
स्टारः 3

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वार्नर ब्रदर्स जानते हैं कि चालीस साल की उम्र के बाद भी किसी बात को कैसे कैश किया जा सकता है। सिल्वेस्टर स्टेलॉन पिछले कुछ सीक्वल को सफल बनाते आए हैं। इस बार डायरेक्टर नया है। रेयान कूग्लर ने कहानी को स्थापित किया है। नए डायरेक्शन के बाद भी कुछ नई चीजें इसमें देखने को मिल रही है।

एडोनिस क्रीड का किरदार निभाया है माइकल बी जॉर्डन ने। वो एक भूतपूर्व हेवी वेट चैम्पियन का नाजायज बेटा है। चैम्पियन है अपोलो क्रीड। वो स्टेट रिफार्म के दौरान कई मुश्किलों से गुजरा हैं। उसकी विधवा पत्नी की केवल एक इच्छा है। वो चाहती हैं कि उसका बेटा इस खेल से बिल्कुल दूर रहे, जिसके कारण उसके पिता की मौत हुई थी।

मगर बच्चा जो कि एक जवान लडका है, वो अपने आपको इस बात से रोक नहीं पाता है। एडोनिस अपनी नौकरी को छोड़कर फिल्डेल्फिया की ओर रुख करता है। यहां उसकी मुलाकात होती है अपने दिवंगत पिता के बेस्ट फ्रेंड से। यह किरदार सिलवेस्टर स्टेलॉन ने निभाया है, जिसका नाम रॉकी बल्बुआ है। वो इसी में अपना ट्रेनर देखता है।

बल्बुआ फिलहाल एक सफल रेस्त्रां संचालित कर रहा होता है। वो वापस पुरानी दुनिया में नहीं लौटना चाहता है मगर जवान क्रीड का समर्पण देख वो एक झलक भर दिखाने के लिए तैयार हो जाता है। इसके बाद ये दोनों खुशी से एक बड़े टाइटल के लिए तैयारी करना शुरू करते हैं। मगर यहां इस बात का खासा ध्यान रखा गया है कि फिल्म में पुरानी परिपाटी को न दोहराते हुए कुछ नया किया जाए।

फिल्म में पारंपरिक फॉर्मूले के अलावा भी कुछ नया है जो देखने को मिलता है। एक और अच्छी बात यह है कि यहां पर उम्रदराज स्टेलॉन को बॉक्सिंग रिंग में नहीं उतारा गया है। उन्हें केवल वो काम दिया गया जो उनके लिए जरूरी था। स्टेलॉन जहां मार्गदर्शन की भूमिका में हैं वहीं दूसरी तरफ माइकल जॉर्डन पूरी मेहनत में लगा रहता है।

माइकल अपने पिता की विरासत को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से तल्लीन रहता है। वो कोशिश में रहता है कि किसी तरह अपने पिता की साख को बनाए रखें। फिल्म का बहुत बड़ा हिस्सा रॉकी और डॉनी के बीच सांमजस्य स्थापित करने में ही बीत जाता है। डायरेक्टर ने भी फिल्म के इस बड़े हिस्से को और भी ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए खूब मेहनत की है। मगर दुर्भाग्य से बाकी बातों के लिए फिर फिल्म में स्पेस ही खत्म हो जाता है। फिल्म में 'रॉकी' का फार्मुला भी कहीं-कहीं दिखाई देता है।

फिल्म में रोमांस के सीन से ज्यादा दिक्कत लड़ाई वाले हैं क्योंकि इसके साथ दर्शक जुड़ ही नहीं पाते। बावजूद इसके यह प्रयास अच्छा है। पुराने स्टूडियो की नई फिल्म आपको देखने को मिलेगी।

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