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Big Girls Don't Cry Review: बेतरतीब लेखन को नहीं साध पाया कलाकारों का अभिनय, बिखरी नित्या मेहरा की वेब सीरीज

Big Girls Dont Cry वेब सीरीज प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है। इस सीरीज की क्रिएटर नित्या मेहरा हैं। BGDC सीरीज लड़कियों के एक काल्पनिक बोर्डिंग स्कूल में सेट की गई कहानी है। सीरीज की मुख्य स्टार कास्ट में कई नवोदित कलाकार शामिल हैं जिनमें अवंतिका अनीत और दलाई के नाम प्रमुख हैं। पूजा भट्ट राइमा सेन मुकुल चड्ढा ने अहम किरदार निभाये हैं।

By Manoj Vashisth Edited By: Manoj Vashisth Published: Thu, 14 Mar 2024 07:09 PM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2024 07:09 PM (IST)
Big Girls Don't Cry Review: बेतरतीब लेखन को नहीं साध पाया कलाकारों का अभिनय, बिखरी नित्या मेहरा की वेब सीरीज
बिग गर्ल्स डोन्ट क्राय प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है। फोटो- प्राइम वीडियो

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra) और कटरीना कैफ को लेकर बार बार देखो फिल्म बनाने वाली नित्या मेहरा (Nitya Mehra) ने लम्बे अर्से तक बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया है। लक्ष्य और डॉन जैसी फिल्मों में वो फरहान अख्तर की असिस्टेंट रहीं तो ऑस्कर अवॉर्ड विनिंग फिल्म 'लाइफ ऑफ पाई' में नित्या ने आंग ली और 'द नेमसेक' में मीरा नायर को असिस्ट किया था। 

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नित्या के लेखन और निर्देशन में अंतरराष्ट्रीय सिनेमा का अनुभव झलकता है, मगर प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई सात एपिसोड्स की टीनेज स्कूल ड्रामा सीरीज बिग गर्ल्स डोन्ट क्राय (Big Girls Don't Cry)  के मामले में यह काम नहीं आ सका।

उम्दा अभिनय और निर्देशन के बावजूद कमजोर लेखन की वजह से सीरीज असर छोड़ने में विफल रहती है। देसी और विदेशी संवेदनाओं के बीच झूलते लेखन ने बिग गर्ल्स डोन्ट क्राय को कहीं पहुंचने नहीं दिया। 

क्या है बिग गर्ल्स डोन्ट क्राय की कहानी?

बिग गर्ल्स डोन्ट क्राय एक काल्पनिक बोर्डिंग स्कूल वंदना वैली गर्ल्स स्कूल में पढ़ने वाली किशोरवय लड़कियों के एक ग्रुप की कहानी है। इनके जीवन में पढ़ाई और भविष्य की योजनाओं के साथ निजी जीवन की कुछ परेशानियां भी हैं। कहानी मुख्य रूप से लूडो (अवंतिका वंदनापु), रूही (अनीत पद्दा), प्लगी (दलाई), काव्या (विदुषी), जेसी (लाकीला), नूर (आफरा सईद) और दीया (अक्षिता सूद) ड्राइव करती हैं।

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रूही, एक डिस्फंक्शल फैमिली का हि्स्सा है। लूडो अपनी लैंगिक पहचान को लेकर कशमकश में हैं, जिसके चलते उसे बास्केट वॉल टीम की कप्तानी तक खोनी पड़ती है। काव्या गरीब फैमिली से है और स्कॉलरशिप पर पढ़ रही है, जो उसके लिए सरवाइवल जैसा है।

उसे दोस्तों के साथ मस्ती और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाकर रखना है, ताकि स्कॉलरशिप मिलती रहे। प्लगी को अपना वर्जिन टैग हटाना है। नूर स्कूल की सबसे होनहार छात्राओं में से एक है।

स्कूल को उससे काफी उम्मीदें हैं और ये उम्मीदें कभी-कभी उस पर बोझ बन जाती हैं। सभी लड़कियां किसी ने किसी उलझन में हैं, मगर एक-दूसरे का साथ ही इनकी ताकत है और मुसीबतों से निकलने में एक-दूसरे की मदद करती हैं। 

कैसा है सीरीज का स्क्रीनप्ले? 

बोर्डिंग स्कूलों की बैकग्राउंड पर अलग-अलग जॉनर के शोज आते रहे हैं, जिनमें किशोरवय लड़के-लड़कियों के इर्द-गिर्द कहानियां दिखाई जाती रही हैं। ऐसी कहानियों में कुछ बातें कॉमन रहती हैं।

टीचर्स की बॉडी लैंग्वेज में उस एलीट बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने-पढ़ाने का दम्भ, अलग-अलग पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले विद्यार्थी और उनकी समस्याएं, दोस्ती, भविष्य के सपने, शरारतें, सजाएं, रूठना-मनाना... बिग गर्ल्स डोन्ट क्राय में भी ये सब कुछ है, मगर देसीपन के साथ।

मुख्य कथ्य के साथ इन सभी किरदारों की दूसरी लड़कियों और लड़कों के साथ समीकरणें भी ट्रैक जोड़ते हुए चलती हैं । लेखन टीम ने वंदना वैली गर्ल्स स्कूल को यथासम्भव देसी बनाकर रखा है। लड़कियों की स्कूल यूनिफॉर्म से लेकर लव पे आती है दुआ बनकर तमन्ना मेरी... प्रार्थना तक, सब कुछ स्थानीयता का एहसास देता है। दूसरी सीरीजों की तरह यहां स्टूडेंट्स एक्सेंट में अंग्रेजी नहीं बोलते, बल्कि सामान्य बातचीत हिंदी में ही करते हैं।

बिग गर्ल्स डोन्ट क्राय उन सीरीजों में शामिल है, जो अलग-अलग डिपार्टमेंट्स में अच्छी लगती हैं, मगर सब मिलकर प्रभावित नहीं कर पातीं। सीरीज की शुरुआत ढीली है और तकरीबन तीन एपिसोड्स तक कहानी पकड़ नहीं पाती। ऐसा लगता है कि बिना मकसद बस चले जा रही है।

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बिग गर्ल्स डोन्ट क्राय के लेखन में प्रवाह की कमी साफ महसूस होती है। शुरुआती एपिसोड्स में लेखन टीम ये स्थापित करने में भी सफल नहीं हो पाती कि बिग गर्ल्स डोन्ट क्राय की मंजिल क्या है। आखिर कहानी किस ओर जा रही है? बोर्डिंग स्कूल में लड़कियों की दिनचर्या, आपसी नोकझोंक, उनकी समस्याएं बस आती-जाती रहती हैं।

स्कूल-कॉलेज पर बनी सीरीजों की कहानियों का एक आकर्षण शरारतें होती हैं। बिग गर्ल्स डोन्ट क्राय में भी शरारतें हैं, मगर उनमें वो खिंचाव नहीं है। कुछ भावनात्मक दृश्यों में इंटेंसिटी की कमी झलकती है।

रूही जब बोर्डिंग स्कूल से संडे ब्रेक में अपनी दोस्तों के साथ घर जाती है तो माता-पिता के बीच तनाव से चिढ़ती है। मगर, यहां घर जैसी फीलिंग नहीं आती। सीरीज के आखिरी एपिसोड्स में कहानी पेस पकड़ती है। हालांकि, तब तक देर हो चुकी होती है। 

सीरीज की क्रिएटर नित्या मेहरा हैं, जबकि निर्देशन नित्या के अलावा सुधांशू सरिया, करन कपाड़िया और कोपल नैथानी ने किया है।

कैसा है कलाकारों का अभिनय?

Big Girls Don't Cry की मुख्य स्टारकास्ट में सभी नवोदित कलाकार अपने किरदार में रमे हुए महसूस होते हैं। उन्होंने किरदार को उनकी खूबियों और खामियों के अनुरूप पेश करने की पूरी कोशिश की है। रूही के किरदार में अनीत पद्दा और प्लगी के रोल में दलाई खास तौर पर प्रभावित करती हैं।

सीरीज में नवोदित कलाकारों को सीनियर साथियों का पूरा सहयोग मिला है। स्कूल प्रिंसिपल अनीता वर्मा यानी एवी के किरदार में पूजा भट्ट, ड्रामा टीचर के रोल में जोया हुसैन, रूही के माता-पिता के किरदार में राइमा सेन और मुकुल चड्ढा ने नये कलाकारों को उभरने का पूरा मौका दिया है। 


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