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दस फिल्में, जिन्होंने शहीदों की यादों को जिंदा किया

प्रेम मिलाप, प्रेम वियोग से परिपूर्ण कहानियों को दिखाने में हिन्दी सिनेमा ने कमी नहीं रखी, पर इन कहानियों से भी दूर सिनेमा ने कुछ ऐसी फिल्में दर्शकों को दी हैं, जिन्होंने आजादी के जज्बे को कभी कम नहीं होने दिया। 15 अगस्त के दिन आज हम उन फिल्मों को याद करने जा रहे हैं जिन्हें देख आपको अपनी आजादी, भारत के वीरों, बॉर्डर पर शही

By Edited By: Published: Wed, 14 Aug 2013 03:56 PM (IST)Updated: Thu, 15 Aug 2013 01:22 PM (IST)

प्रेम मिलाप, प्रेम वियोग से परिपूर्ण कहानियों को दिखाने में हिन्दी सिनेमा ने कमी नहीं रखी, पर इन कहानियों से भी दूर सिनेमा ने कुछ ऐसी फिल्में दर्शकों को दी हैं, जिन्होंने आजादी के जज्बे को कभी कम नहीं होने दिया। 15 अगस्त के दिन आज हम उन फिल्मों को याद करने जा रहे हैं जिन्हें देख आपको अपनी आजादी, भारत के वीरों, बॉर्डर पर शहीद हुए जवानों पर गर्व होगा।

साल 1800 के बाद देश में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष को दिखाती फिल्म 'क्रांति' ने भारतीयों के दिलों में इस एहसास को फिर से पैदा कर दिया कि भारत को आजादी बहुत बड़ी कीमत चुकाने के बाद मिली है।

साल 1943 में आई फिल्म 'किस्मत' भारत छोड़ो आंदोलन पर आधारित थी। फिल्म के गीत कवि प्रदीप ने लिखे और संगीत अनिल बिस्वास ने दिया। प्रदीप के गीत 'दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है..' ने देशभक्ति का जज्बा मजबूत करने में गहरा योगदान दिया।

साल 1997 में रिलीज हुई निर्देशक जे पी दत्ता की फिल्म 'बॉर्डर' ने सीमा पर जूझ रहे जवानों के हौसले को दिखाया। आज की पीढ़ी 'बॉर्डर' के जरिए इस बात को महसूस कर सकती है कि कैसे हमारे जवान हमारी रक्षा के लिए अपने तमाम सुखों का त्याग करते हैं।

साल 1965 में आई मनोज कुमार की फिल्म 'शहीद' हिन्दी सिनेमा की एक लेजेंड फिल्म मानी जाती है। फिल्म शहीद भगत सिंह के जीवन पर आधारित है और फिर बाद में इसी नाम से अजय देवगन और बॉबी देओल ने भी फिल्म की।

साल 1800 के दौरान बंगाल में हुए संन्यासी आंदोलन पर आधारित साल 1952 में बनी फिल्म 'आनंदमठ' लोगों में हमेशा देशभक्ति की प्रेरणा भरती रहेगी।

साल 1951 में बनी फिल्म 'आंदोलन' में बापू का सत्याग्रह, वल्लभभाई पटेल का बारदोली आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन दिखाया गया था।

साल 1950 में बनी फिल्म 'समाधि' में नेताजी सुभाषचंद्र बोस और इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) को आधार बनाकर फिल्म को निर्देशित किया गया था।

साल 2010 में रिलीज हुई फिल्म 'खेलें हम जी जान से' युवाओं को अपील करने वाली थी, जिसमें साल 1930 के चिटगांव आंदोलन को दिखाया गया था।

गांधीजी के दक्षिण अफ्रीका में साल 1893 से दिल्ली में साल 1948 में हुई उनकी हत्या तक की घटनाओं पर बनी फिल्म 'गांधी' ने नई पीढ़ी को बापू के बारे में जानने का मौका दिया।

साल 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित फिल्म 'मंगल पांडे द राइजिंग' में आमिर खान ने जबरदस्त अभिनय किया था, जिसमें भारतीयों के साथ होने वाले अन्याय को दिखाया गया था।

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