सीएम त्रिवेंद्र रावत ने दिए ड्रग्स और भू माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा स्थित सीएम कार्यालय में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर ड्रग्स माफिया व भू माफिया पर शिकंजा कसने के निर्देश दिए।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा स्थित सीएम कार्यालय में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ राज्य में कानून व्यवस्था की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने फील्ड पुलिसिंग को और अधिक सक्रिय करने के निर्देश दिए।
सीएम ने ड्रग्स माफिया व भू माफिया पर शिकंजा कसने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ड्रग्स की गतिविधियों में शामिल तत्वों को पहचानकर सख्त कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। इसके लिए अगर कानून में सुधार किए जाने की जरूरत हो तो इसका प्रस्ताव तैयार किया जाए।
साथ ही उन्होंने मुखबिर तंत्र को अधिक मजबूत करने पर जोर दिया। कहा कि ड्रग्स माफिया की जानकारी देने वाले लोगों को प्रोत्साहित किया जाए। मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश को जमीन संबंधी धोखाधड़ी के मामलों पर नियंत्रण के लिए अधिकारियों की समिति बनाकर कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है। पुलिस विभाग को सुधार के लिए आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने डीजीपी को निर्देशित किया कि जितने पुलिस थाने खोले जाने की आवश्यकता हो, प्रस्ताव बनाएं। बैठक में अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, डीजीपी एम.ए गणपति, एडीजी अनिल रतूड़ी, राम सिंह मीणा, अशोक कुमार सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उपस्थित थे।
उमा भारती से की फोन पर बात
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमाभारती से लखवाड़ व्यासी के संबंध में फोन पर वार्ता की। केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री के अनुरोध पर कहा कि जल्द से जल्द बजट जारी कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि 300 मेगावाट की लखवाड बहुउद्देशीय परियोजना को केंद्र सरकार ने नेशनल प्रोजेक्ट घोषित किया है। देहरादून जिले में यमुना नदी पर बन रहे लखवाड़ प्रोजेक्ट से 300 मेगावाट बिजली सृजित करने के साथ ही पेयजल व सिंचाई के लिए पानी भी उपलब्ध होगा। इसकी कुल लागत 3966 करोड़ 51 लाख रूपए है।
इसमें पावर कम्पोनेंट की लागत 1388 करोड़ 28 लाख रूपए है, जबकि पेयजल व सिंचाई कम्पोनेंट की लागत 2578 करोड 23 लाख रूपए है। वाटर कम्पेानेंट की लागत का 90 प्रतिशत केंद्र सरकार से ग्रांट के रूप में उपलब्ध करवाया जाना है।
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