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अब प्रत्याशियों को देना होगा परिवार की आय का ब्योरा

अब पूरे परिवार की संपत्ति का ब्योरा देने के साथ ही परिवार के सभी सदस्यों का आइटीआर की भी जानकारी देनी होगी।

By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 02:47 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 05:17 PM (IST)
अब प्रत्याशियों को देना होगा परिवार की आय का ब्योरा

मुरादाबाद, जेएनएन। निर्वाचन आयोग पूरी पारदर्शिता के साथ चुनाव को संपन्न कराने के लिए जुटा है। जनता को अपने प्रत्याशी की छवि का आकलन करने का पूरा मौका मिलेगा। अभी तक चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी अपने से संबंधित संपत्ति का ब्योरा नामांकन पत्र के साथ देते थे। लेकिन अब पूरे परिवार की संपत्ति का ब्योरा देने के साथ ही परिवार के सभी सदस्यों का आइटीआर की भी जानकारी देनी होगी। इन परिवार के सदस्यों में स्वयं के साथ ही पत्नी और बच्चों के नाम पर जो भी चल-अचल संपत्ति होगी उसकी जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।

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इस जानकारी के सार्वजनिक होते ही जनता को आसानी से पता चल जाएगा कि सांसद प्रत्याशी के साथ ही उनके परिवार के पास कितनी संपत्ति है।

जनप्रतिनिधियों को दी जा रही जानकारी

उपजिला निर्वाचन अधिकारी लक्ष्मीशंकर सिंह ने बताया कि निर्वाचन आयोग के निर्देशों के संबंध में जनप्रतिनिधियों को जानकारी दी जा रही है। जो भी निर्देश आए हैं, उनका अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। जनता इसके बाद अपने प्रत्याशियों के बारे में जान सकेगी।

जनता की आवाज होते थे नेता अब सिर्फ पैसों का मचता शोर

मुरादाबाद(प्रांजुल श्रीवास्तव)। कमर झुक गई है, चेहरे पर झुर्रियां हैं और बात करने में सांस भी फूलने लगती है। 95 वर्षीय इंद्र स्वरूप गुप्ता ने कई चुनाव देखे और नेताओं के चाल चरित्र को भी देखा। उनसे तब के और अब के चुनावों के बारे में पूछा तो बोलते हैं कि पहले के नेता जनता की आवाज थे और अब सिर्फ पैसा शोर मचाता है। यह बात वह बड़े जोर से कहते हैं कि अब के चुनाव धन और बल के हो गए हैं। उनके समय में नेता जनता के बीच का होता था, तो लोगों का दर्द समझता था, मुसीबत में उसकी आवाज बनता था। अब बाहरी नेता आकर खुद को अपने बीच का साबित करता है और पैसे के बल पर चुनाव लड़ता है।

पहले बदलाव के लिए होती थी राजनीति

इंद्र स्वरूप गुप्ता कहते हैं कि मैंने उन नेताओं को देखा है जो राजनीति समाज में बदलाव के लिए करते थे। इसके लिए वे जीवन भी खपाने को तैयार थे। पहले के नेता वोट मांगने आते थे, तो तीन-चार दिन गांव में ही रहते थे। लोगों से मिलते जुलते और मित्रता जोड़ते थे। अब तो राजनीति व्यापार बन गई है, इसमें वही उतरता है जिसे पैसा कमाना होता है। चौपालें अब नहीं होतीं रैलियों में चुनाव सिमट जाते हैं। दैनिक जागरण इंद्र स्वरूप गुप्ता के लंबी आयु की कामना करता है।


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