Loksabha Election 2019 :अलीगढ़ के मेयर ने डीएम से पूछा...कहां गए 28 हजार मत?
जिला प्रशासन ने 18 अप्रैल को ईवीएम परीक्षण के उपरांत कुल मतदान 62.95 फीसद घोषित किया मगर अगले ही दिन 1.5 फीसद (करीब 28 हजार) कम दर्शाया गया।
अलीगढ़ (जेएनएन)। जिला प्रशासन ने 18 अप्रैल को ईवीएम परीक्षण के उपरांत कुल मतदान 62.95 फीसद घोषित किया, मगर अगले ही दिन 1.5 फीसद (करीब 28 हजार) कम दर्शाया गया। इसे लेकर बसपा व सपा नेताओं ने चुनाव आयोग व प्रशासन की विश्वसनीयता व निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं। सपा व बसपा के वरिष्ठ नेताओं व मेयर के साथ डीएम से मिलने पहुंचे गठबंधन प्रत्याशी अजीत बालियान ने डीएम से पुन: स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। डीएम से पूछा कि करीब 28 हजार मत कैसे कम हो गए?
सबकी देखरेख में रखवाया है रिकार्ड
अजीत बालियान के साथ महापौर मोहम्मद फुरकान, पूर्व विधायक जफर आलम, मंडल जोन इंचार्ज रणवीर सिंह कश्यप समेत अन्य नेताओं की मौजूदगी में जिला निर्वाचन अधिकारी (डीएम) चंद्रभूषण सिंह को पत्र सौंपा। नेताओं ने कहा कि ईवीएम के साथ मतदान संबंधी रिकार्ड आपकी देखरेख में डबल लॉक में सुरक्षित रखवाया गया। इसके बाद समस्त प्रेक्षकों, प्रत्याशी व प्रतिनिधियों के समक्ष कुल मतदान घोषित किया गया। 20 अप्रैल को मीडिया के माध्यम से मतदान फीसद 1.5 फीसद कम दर्शाए जाने की सूचना मिली। इससे विपक्षी पार्टियों में आशंका पैदा हो गई है। अत: जनपदवासियों व राजनैतिक दलों के समक्ष मीडिया के माध्यम से वास्तविक स्थिति स्पष्ट की जाए। इस मौके पर गजराज विमल, सेक्टर प्रभारी बिजेंद्र सिंह विक्रम, पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक सिंह, वीरेंद्र सिंह बालियान, लोकेंद्र सिंह बालियान, रघुवीर सिंह उषवा, जिलाध्यक्ष तिलकराज यादव, सपा जिलाध्यक्ष अशोक यादव, जस्सू शेरवानी, मुशीर अहमद खां आदि मौजूद रहे।
मिली निगरानी की अनुमति
रणवीर कश्यप ने बताया कि हमने ईवीएम की सुरक्षा के लिए स्ट्रांग रूम पर कार्यकर्ताओं के बैठने की अनुमति भी मांगी। डीएम ने अनुमति दे दी है। ईवीएम 24 घंटे निगरानी में रखी जाएंगी।
जवां एसओ पर बसपा के एजेंटों को पीटने का आरोप
गठबंधन नेताओं ने आरोप लगाया कि मतदान के दिन बरौली के मीरपुर साथा स्थित बूथ पर महिला मतदान कर्मी को फर्जी मतदान करते बसपा के एजेंट अनिल सागर व कुंवर पाल ने पकड़ लिया। महिला कर्मी 10-11 मत भाजपा के लिए डाल चुकी थी। आपत्ति जताने पर उसने फोर्स बुलाकर एजेंटों को पकड़वा दिया। जवां एसओ एजेंटों को घसीटते हुए थाने ले गए। फिर रातभर में उन्हें बुरी तरह मारा-पीटा। जाति-सूचक शब्दों का भी इस्तेमाल किया। डीएम व प्रेक्षक से शिकायत के बाद भी जवां एसओ ने एक नहीं सुनी और सत्ताधारी दल के नेताओं के दबाव में फर्जी तरीके से 151 की धारा में दोनों को जेल भेज दिया।