रामपुर में दिलचस्प होगा जयाप्रदा और आजम के बीच चुनावी मुकाबला
रामपुर लोकसभा सीट से फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा के भाजपा उम्मीदवार बनने से सियासी माहौल गर्मा गया है। इस बार उनका मुकाबला सीधे सपा नेता आजम खां से है।
रामपुर(मुस्लेमीन)। रामपुर लोकसभा सीट से फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा के भाजपा उम्मीदवार बनने से सियासी माहौल गर्मा गया है। इस बार उनका मुकाबला सीधे सपा नेता आजम खां से है। इन दोनों के बीच पहले से ही छत्तीस का आंकड़ा है। इस बार मुकाबला दिलचस्प रहेगा।
फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा ने मंगलवार को दिल्ली में भाजपा कार्यालय में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इसके तीन घंटे बाद ही उन्हें रामपुर से भाजपा का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। जैसे ही उन्हें प्रत्याशी बनाने की सूचना भाजपाइयों को मिली, वे खुशी से झूम उठे और मिठाई बांटने लगे। जयाप्रदा पहले भी दस साल रामपुर से सांसद रही हैं। वर्ष 2004 में सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ीं। उस वक्त आजम खां और अमर ङ्क्षसह में अच्छे संबंध थे, लेकिन चुनाव के कुछ दिन बाद ही जयाप्रदा की आजम से दूरियां बढ़ती चली गईं। इसी कारण अमर सिंह और आजम में भी संबंध खराब होते चले गए। आजम ने 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में जयाप्रदा का विरोध किया। इसके बावजूद सपा के टिकट पर जयाप्रदा चुनाव जीत गईं। इस चुनाव के बाद अमर ङ्क्षसह और आजम के बीच इतनी दूरियां बढ़ गई कि दोनों एक दूसरे के सियासी दुश्मन बन गए। चुनाव के चंद माह बाद आजम को सपा से निष्कासित भी कर दिया गया। इसके बाद हुए उप चुनाव में सपा बुरी तरह हार गई। इससे मुलायम ङ्क्षसह को अहसास हुआ कि आजम के बगैर पार्टी नुकसान में है। आजम को दोबारा पार्टी में शामिल किया गया और फिर से राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। आजम की दोबारा एंट्री से पहले अमर ङ्क्षसह को पार्टी से निकाल दिया गया। उनके साथ ही जयप्रदा भी पार्टी से आउट हो गईं।
पिछले चुनाव में ऐसे थे हालात
2014 के लोकसभा चुनाव में जयाप्रदा रामपुर के बजाय बिजनौर से राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी, लेकिन बुरी तरह हार गईं। अब फिर जयाप्रदा रामपुर से चुनाव लड़ेंगी, लेकिन इस बार सपा के बजाय भाजपा के टिकट पर हैं। इस बार उनका मुकाबला सीधे आजम खां से है। सपा ने आजम खां को ही प्रत्याशी बनाया है। वे पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और इसे जीतने के लिए पूरी ताकत लगाए हैं। जयाप्रदा के साथ ही अमर सिंह का भी आजम से 36 का आंकड़ा है। दोनों ही एक दूसरे से पुराना हिसाब चुकता करने के लिए पूरा दमखम लगाएंगे। इस कारण रामपुर में सियासी जंग बड़ी दिलचस्प होगी। जया प्रदा ने कहा कि उन्हें पहले भी रामपुर की अवाम ने बहुत प्यार दिया है और इस बार भी पूरी उम्मीद है कि जनता का आशीर्वाद मिलेगा। शीघ्र ही रामपुर पहुंचकर चुनाव प्रचार में जुट जाएंगी।
डॉ.नैपाल सिंह से किनारा
लंबे समय तक भाजपा में राजनीति करने वाले सांसद डॉ.नेपालसिंह पर इस बार भरोसा नहीं जताया गया। वह पांच बार विधान परिषद सदस्य चुने गए, जबकि 2014 में भाजपा के टिकट पर रामपुर से लोकसभा सदस्य बने। स्वास्थ्य खराब होने की वजह से इस बार खुद चुनाव लडऩे के बजाय इंजीनियर बेटे सौरभ पाल ङ्क्षसह को मैदान में उतारना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया। सांसद नैपाल सिहं का कहना है कि पार्टी हाईकमान ने जो भी फैसला लिया है, वह हमें मान्य है।