Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2019: मंडी में हमेशा लहर में ही पार लगी भाजपा की नाव

आपातकाल के बाद पनपे देशव्यापी आक्रोश का असर 1977 में मंडी संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं में भी देखने को मिला था।

By BabitaEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 02:12 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 02:12 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: मंडी में हमेशा लहर में ही पार लगी भाजपा की नाव

मंडी, हंसराज सैनी। मंडी संसदीय क्षेत्र में भाजपा की नाव हमेशा लहर में ही पार लगी है। 1952 से 1976 तक यहां कांग्रेस पार्टी का एकछत्र राज्य रहा है। 1977 में आपातकाल के बाद पनपे देशव्यापी आक्रोश का असर मंडी संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं में भी देखने को मिला था। 1977 के लोकसभा चुनाव में 25 साल बाद पहली बार यहां कांग्रेस का विजय रथ थमा था। जनता पार्टी मंडी जिला के संस्थापक अध्यक्ष गंर्गा सिंह ठाकुर ने कांग्रेस प्रत्याशी वीरभद्र्र सिंह को करारी शिकस्त दी थी।

loksabha election banner

1971 के चुनाव में एकतरफा मुकाबला हुआ था। वीरभद्र्र सिंह को 71.95 फीसद वोट मिले थे। उनके प्रतिद्वंद्वी की गाड़ी मात्र 16.14 प्रतिशत मतों पर ही अटक गई थी। 1977 में जनता पार्टी के गंर्गा सिंह ठाकुर को 53.19 फीसद मत मिले थे, जबकि वीरभद्र्र सिंह को 39.52 प्रतिशत मतों से संतोष करना पड़ा था। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को रिकॉर्ड बहुमत मिला था। बोफोर्स व चीनी घोटाले की देशभर में चर्चा थी।

पंडित सुखराम राजीव गांधी सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे। चीनी घोटाला क्षेत्र में काफी चर्चित रहा था। मतदाताओं के आक्रोश के चलते पंडित सुखराम को हार का सामना करना पड़ा था, तब पहली बार यहां भाजपा का खाता खुला था। भाजपा के महेश्वर सिंह 50.36 फीसद वोट लेकर विजयी रहे थे। मंडल आंदोलन के बाद देश को मध्यावधि चुनाव का सामना करना पड़ा था। 1991 में हुए चुनाव में पंडित सुखराम ने महेश्वर सिंह से हार का बदला लिया। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की लहर में भाजपा के महेश्वर सिंह को 62.44 और कांग्रेस की प्रतिभा सिंह को 35.38 प्रतिशत वोट मिले थे। भाजपा के महेश्वर सिंह करीब 1.31 लाख वोटों से जीते थे। भाजपा के वोटों में 29.15 फीसद का इजाफा हुआ था। साल बाद 1999 में हुए चुनाव में वाजपेयी लहर का असर दोबारा दिखा। महेश्वर सिंह ने कांग्रेस के कौल सिंह को पटकनी दी।

इस चुनाव में भाजपा को 62.5 फीसद वोट मिले थे। इसके बाद दो आम चुनावों व एक उपचुनाव में भाजपा को फिर मुंह की खानी पड़ी। 2014 के चुनाव में मोदी लहर में भाजपा के रामस्वरूप शर्मा ने कांग्रेस की प्रतिभा सिंह को चारों खाने चित कर संसद की दहलीज में कदम रखा।

मतदाताओं ने नकारे कर्मचारी नेता

भाजपा ने दो चुनाव में कांग्रेस दिग्गज रहे पंडित सुखराम के विरुद्ध कर्मचारी नेता उतारे। दोनों ही बार मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया। 1984 के चुनाव में भाजपा ने अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के संस्थापक रहे मधुकर सिंह को चुनाव में उतारा था। मधुकर को मात्र 92495 मत ही मिले थे। पंडित सुखराम 1.31 लाख मतों से जीते थे। 1996 में अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के तेजतर्रार नेता अदन सिंह को टिकट दिया था। वह उस समय महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष थे। उनके पक्ष में मंडी के सेरी मंच पर अटल बिहारी वाजपेयी ने भी जनसभा की थी। इसके बावजूद पंडित सुखराम 1.53 लाख मतों से जीत गए थे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.