नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) द्वारा पार्किंग नीति में बदलाव करना स्वागतयोग्य कदम है। इसके बाद दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में पार्किंग करना खासा महंगा हो जाएगा। आबोहवा में सुधार और वाहनों की संख्या में कमी लाने के लिए सख्ती जरूरी हो गई है, क्योंकि दिल्ली में वाहनों की संख्या बेतहाशा बढ़ रही है। रिहायशी कालोनियां ही नहीं, सड़कों पर भी जहां-तहां वाहन खड़े नजर आते हैं। परिवहन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में वाहनों की संख्या एक करोड़ पार कर चुकी है। मतलब, दिल्ली में हर दूसरे व्यक्ति के पास आपना वाहन है। चिंताजनक यह भी कि आबादी के दबाव में पहले ही चरमरा रही दिल्ली की व्यवस्था में पार्किंग बड़ी समस्या हो गई है।

इन वाहनों का धुआं प्रदूषण तो फैला ही रहा है, पार्किंग को लेकर झगडे-फसाद भी आए दिन हो रहे हैं। इसका निदान पार्किंग नीति में बदलाव से ही संभव है। वाहनों की पार्किंग निर्धारित जगहों पर ही होनी चाहिए। पार्किंग शुल्क भी व्यस्त और गैर व्यस्त घंटों के हिसाब से होना चाहिए। पार्किंग दर ज्यादा होगी तो दिल्लीवासी सड़कों पर वाहन निकालने से भी हिचकेंगे और नए वाहन खरीदने से भी।1 पार्किंग नीति जल्द समूची दिल्ली के लिए लागू होनी चाहिए। वाहनों की अत्यधिक संख्या ने दिल्ली का नक्शा ही बिगाड़कर रख दिया है।

सर्विस लेन और फुटपाथ भी पार्किंग में तब्दील हो चुके हैं। सडकों की चौड़ाई अवैध पार्किंग के चलते ही घट गई है। ट्रैफिक जाम भी इसी का नतीजा है। लोग जाम के कारण परेशान हैं। विडंबना यह कि पार्किंग और यातायात जाम से परेशान लोग इसके समाधान के लिए पहल करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में प्रशासन के स्तर पर सख्ती ही स्थिति में सुधार कर सकती है। इस दृष्टि से एनडीएमसी की पहल समूची दिल्ली के लिए नजीर बन सकती है। नगर निगम क्षेत्र के लिए भी पार्किंग नीति तो बन गई है, बस फाइनल होना बाकी है। इस कार्य में ढिलाई कतई नहीं होनी चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली]