उत्तर प्रदेश की तर्ज पर हरियाणा सरकार ने सड़क छाप मजनुंओं पर शिकंजा कसने के लिए ऑपरेशन दुर्गा चलाने का एलान किया है। कई शहरों में एक साथ सार्वजनिक क्षेत्रों में विशेष दस्तों ने दबिश दी और संदिग्ध परिस्थितियों में खड़े युवाओं से बातचीत की। पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में छेड़छाड़, उत्पीड़न और महिला अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है। कुछ असामाजिक तत्व स्कूल, कालेजों से निकलने वाली युवतियों पर फब्तियां कसते हैं और अश्लील हरकतें करते हैं। ऐसे में बेटियां अपने घर व आसपास के माहौल में भी असुरक्षा की भावना से घिरती जा रहीं थी। पार्कों, बस अड्डों, रेलवे स्टेशन व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे दस्तों की तैनाती की काफी समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी। हाल ही में कुछ ऐसी घटनाएं भी सामने आर्ईं कि छेड़छाड़ के भय से कई गांवों में छात्राओं को स्कूल ही छोड़ना पड़ा। यह मसला कई बार चिंता का विषय बना और चर्चा का भी। मीडिया में सुर्खियों के बाद इक्का-दुक्का स्थानों पर कार्रवाई तो हुई लेकिन धरातल पर अधिक बदलाव नहीं दिखा।
अब विशेष उड़नदस्तों ने कई शहरों में दबिश दी और कुछ युवाओं से पूछताछ कर उन्हें चेतावनी भी दी। कुछ हिरासत में भी लिए गए। चिंता यह भी है कि यह उड़नदस्ते नैतिक पुलिस की तरह काम न करना शुरू कर दें। कुछ ऐसी घटनाएं पूर्व में हो चुकी हैं जब पुलिस ने पार्कों व रेस्तरां में बैठे युवाओं व जोड़ों को भी पुलिस ने निशाना बनाना शुरू कर दिया। थोड़ी सतर्कता से इस स्थिति से बचा जा सकता है। बदलते परिवेश में रिश्तों के बदलाव को सभी को स्वीकार करना होगा। ऐसे में आवश्यक है कि इन दस्तों को विशेष प्रशिक्षण व निर्देश हों कि वह शिक्षण संस्थानों के भीतर तनाव का माहौल न बनने दें। प्रयास हो कि यह उड़नदस्ते प्रदेश में बेटियों को सुरक्षा का विश्वास दिला पाएं। वह निसंकोच हो हौसले के साथ स्वयं को अभिव्यक्त कर पाए। बेटियों आज समाज में हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। उनकी इस उड़ान को पंख लगाने हैं तो आवश्यक है कि हम उन्हें ऐसा माहौल दें ताकि वे बिना किसी भय के लक्ष्य पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकें। बेटियां सुरक्षित होंगी तो समाज भी सुरक्षित होगा।

[ स्थानीय संपादकीय : हरियाणा ]