हाईलाइटर
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सिर्फ रांची ही नहीं, जमशेदपुर, बोकारो, धनबाद, हजारीबाग समेत अन्य प्रमुख शहरों में भी वर्षों से जमे अधिकारियों पर भी नजर डालनी होगी। उन्हें भी इधर से उधर करना होगा।
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मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राजधानी रांची में वर्षों से जमे पुलिस पदाधिकारियों का तबादला करने का जो आदेश दिया है, वह स्वागत योग्य कदम है। इसके सकारात्मक दूरगामी असर की उम्मीद की जा सकती है। यह आदेश हर नजरिए से राज्यहित में है। तबादला होने के बाद जो भी नए पुलिस अधिकारी आएंगे, काम के प्रति उनकी सक्रियता व तत्परता ज्यादा दिखेगी। नई जगह को समझने व उसके अनुरूप खुद को ढालने के लिए वे ज्यादा सक्रिय रहेंगे। इससे पुलिस विभाग में वर्षों से कायम जड़ता टूटेगी। वैसे अधिकारियों को भी राजधानी में नौकरी करने का मौका मिल सकेगा जो किन्हीं वजहों से राजधानी में अपनी पोस्टिंग नहीं करा पाते हैं। इससे पुलिस विभाग में तबादला नीति में पारदर्शिता आएगी। लेकिन मुख्यमंत्री के इस आदेश के दायरे को और विस्तार रूप देने की आवश्यकता है। सिर्फ रांची ही नहीं, जमशेदपुर, बोकारो, धनबाद, हजारीबाग समेत अन्य प्रमुख शहरों में भी वर्षों से जमे अधिकारियों व कर्मियों पर भी नजर डालनी होगी। उन्हें भी इधर से उधर करना होगा। सैद्धांतिक रूप से कहा जाता है कि सामान्य तौर पर किसी अधिकारी को एक स्थान पर तीन साल से ज्यादा समय तक नहीं पदस्थापित रखना चाहिए क्योंकि इस अवधि के पूरा होते-होते उस अधिकारी विशेष के उस स्थान विशेष पर सामाजिक रिश्ते कुछ इस तरह के बन गए होते हैं जिनका निर्वहन करते वक्त सरकारी ड्यूटी के कहीं न कहीं से प्रभावित होने का अंदेशा रहता है। इसलिए तीन साल पर तबादला नीति बनी होगी। कालांतर में इस नीति को अलग-अलग कारणों से छेड़ा जाने लगा। इससे कहीं न कहीं प्रशासनिक व्यवस्था कमजोर हुई। शासन-प्रशासन पर सरकार की भी पकड़ कमजोर होती चली गई। हालांकि, इसी क्रम में तबादला उद्योग का भी प्रादुर्भाव हुआ जिससे सत्ता से जुड़े लोगों को बेहिसाब काली कमाई करने का मौैका मिलता चला गया। इसलिए एक समग्र तबादला नीति को अंगीकार करने का समय आ गया है। अब हर विभाग में तीन साल पर तबादला अनिवार्य कर दिया जाए। तबादला करने के दौरान किसी को नीति के किसी छिद्र का लाभ न उठाने दिया जाए और पूरी व्यवस्था को पारदर्शी कर दिया जाए। इससे झारखंड को विकसित राज्यों की कतार में खड़ा करने के सपने को और मजबूत पंख लगेगा। काली कमाई पर तो प्रहार होगा ही।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]