ऐसा प्रतीत होता है कि सड़क पर नियमों को तोडऩे की होड़ सी लगी है। यही कारण है कि प्रदेश में सड़क हादसों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।

पंजाब भर में सड़कों पर अलग-अलग तरीकों से यातायात नियमों का उल्लंघन करने की घटनाएं लगातार सामने आती रहती हैं। दोपहिया, चारपहिया वाहन चालक हों अथवा ट्रैक्टर-ट्राली चलाने वाले, ऐसा प्रतीत होता है कि सभी में नियमों को तोडऩे की होड़ सी लगी है। यही कारण है कि प्रदेश में सड़क हादसों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इससे न जाने कितने निर्दोष असमय काल का ग्रास बन रहे हैं। गत दिवस भी राजपुरा में पांचवीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय बेकाबू ट्रैक्टर-ट्राली ने कुचल दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। ट्रैक्टर-ट्राली वाले सड़क पर किस प्रकार से नियमों का उल्लंघन करते हैं, इसकी एक तस्वीर गत दिवस ही जालंधर के पीएपी चौक पर भी देखने को मिली, जहां एक ट्रैक्टर के पीछे तूड़ी निकालने की मशीन लगाकर रेल की शक्ल में इसे सड़क पर दौड़ाया जा रहा था। यह तो कदाचित खुलेआम हादसों को दावत देने वाली बात है। यही कारण है कि प्रदेश में ट्रैक्टर-ट्राली से हादसों की लंबी फेहरिस्त है। प्रदेश का शायद ही ऐसा कोई जिला शेष होगा जहां ट्रैक्टर-ट्राली से हादसा न हुआ हो और इसमें किसी की जान न गई है। गत दिवस भी यह सिलसिला जारी रहा और लगभग सभी जिलों में ऐसे हादसों के कारण कई लोगों की जान चली गई। महज पटियाला में ही एक साल में ट्रैक्टर-ट्राली से 138 हादसे हुए, जिनमें 72 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और 86 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इन हादसों के लिए ट्रैक्टर-ट्राली चलाने वाले तो जिम्मेदार हैं ही, साथ ही ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन की लापरवाही भी कम जिम्मेदार नहीं है। ट्रैक्टर-ट्राली चालक द्वारा यातायात नियमों को तोडऩे की अक्सर अनदेखी कर दी जाती है। यही कारण है कि प्रदेश के छह जिलों में इनके खिलाफ एक भी चालान नहीं काटा गया, जबकि कई जिलों में इनके खिलाफ नाममात्र की कार्रवाई की गई। यातायात नियम सबके लिए समान हैं और सड़क पर चलने वाले हर व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित होनी ही चाहिए। इसलिए ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन को चाहिए कि वह यातायात नियम तोडऩे वाले सभी लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई अवश्य करे। इसके अतिरिक्त ट्रैक्टर-ट्राली चालकों के लिए खासतौर पर जागरूकता अभियान भी चलाना चाहिए, ताकि वे सड़क पर अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो सकें। ऐसा होने पर ही हालात में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]