बिहार का सौभाग्य है कि चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी आयोजन के बहाने पूरे राज्य में महात्मा गांधी और उनकी प्रासंगिकता पर चर्चा छिड़ी हुई है। इसका श्रेय राज्य सरकार, खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जाता है जिन्होंने इस अवसर पर ऐसे आयोजन तय किए, जिनके जरिए राज्य की नौजवान पीढ़ी को महात्मा गांधी और उनके जीवन दर्शन के बारे में जानने और समझने का अवसर मिलेगा। कम से कम दो मौजूदा पीढिय़ां चंपारण सत्याग्रह के बाद अस्तित्व में आईं, जिन्होंने महात्मा गांधी और चंपारण सत्याग्रह के बारे में सिर्फ किताबों या नाटकों-फिल्मों में पढ़ा-देखा-सुना है। शायद इसी बात को ध्यान में रखकर आयोजकों ने चंपारण सत्याग्रह के घटनाक्रम को री-क्रिएट करने की योजना बनाई है। बेशक यह आयोजन बिहारवासियों के लिए एक हृदयस्पर्शी घटना होगी। इसके बहाने हम महात्मा गांधी सहित बिहार के भी उन तमाम ज्ञात-अज्ञात स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे जिन्होंने देश को ब्रिटिश दासता के चंगुल से मुक्त कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। तय है कि यह आयोजन बिहार से महात्मा गांधी के आत्मीय रिश्ते को एक बार फिर जीवंत करेगा। राज्य में राजधानी पटना से लेकर लगभग हर अंचल में महात्मा गांधी के नाम की किसी न किसी रूप में छाप दिखती है। पटना का तो खैर चप्पा-चप्पा गांधीजी के नाम से जुड़ा हुआ है। बिहारवासियों के लिए आवश्यक है कि वे गांधीजी के विचारों और कार्यशैली पर अमल करें। दरअसल, इस कृषि और कृषक प्रधान राज्य में गांधी दर्शन की प्रासंगिकता किसी भी राज्य से अधिक है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसे लेकर संवेदनशील दिखते हैं लेकिन यह सोच सरकार की नीतियों और सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली के जरिए आम-ओ-खास व्यक्तियों तक पहुंचनी चाहिए। इस दृष्टि से स्कूलों में गांधीजी से संबंधित कहानियों का वाचन बेहतरीन योजना है। बच्चों के मन-मस्तिष्क पर गांधीजी के विचारों की छाप अंकित करना बिहार के भविष्य की दृष्टि से सकारात्मक कदम है। यह राज्य बेशक तेजी से प्रगति कर रहा है लेकिन 80 फीसद से अधिक ग्रामीण जनसंख्या, जिनके पास बहुत छोटी-छोटी जोतें बची हैं, को विकास की मुख्यधारा में लाना बेहद चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है। इस अभियान में गांधीजी की नीतियों के अनुरूप कुटीर स्वरोजगार, महिला सशक्तीकरण, स्वदेशी और नशामुक्ति जैसे कदम 'मील का पत्थरÓ साबित हो सकते हैं। राज्य ने पिछले एक साल के दौरान शराब से मुक्ति पाकर अब पूर्ण नशामुक्ति का बिगुल फूंक दिया है। दहेज और बाल विवाह के खिलाफ अभियान शुरू हो रहा है। गांधी जी ऐसा ही भारत चाहते थे। चंपारण सत्याग्रह की शताब्दी पर महात्मा गांधी के लिए इससे बढ़कर कोई श्रद्धांजलि नहीं हो सकती।
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महात्मा गांधी और बिहार का आत्मीय रिश्ता स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का गरिमामय अध्याय है। चंपारण सत्याग्रह उसका एक खंड है जिसकी शताब्दी वर्षगांठ के जरिए इतिहास जीवंत हो रहा है। पूरा राज्य गांधीमय है। यह शुभ लक्षण है। वक्त की मांग है कि बिहारवासी गांधी के जीवन दर्शन को अपना जीवन दर्शन बनाएं। यही राज्य के विकास का मूलमंत्र है।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]