बिहार कर्मचारी चयन आयोग के पेपर लीक मामले में दबाव की रणनीति के बीच शासन के कदम सधे हुए हैं। मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि कानून सबके लिए बराबर है। वे मामले के कानूनी और संवैधानिक दोनों पहलू को देखेंगे। यह भी कहा कि सरकार के स्तर पर लिया गया निर्णय लैंडमार्क होगा। सरकार की नीति है न किसी को फंसाएंगे और न किसी को बचाएंगे। वाकई इसी रास्ते से न्याय तक पहुंचा जा सकता है। गौरतलब है कि इस मामले में आइएएस एसोसिएशन पीछे हटने के मूड में नहीं है। एसोसिएशन के सदस्यों ने सड़क पर उतरकर एकजुटता दिखाई। बांह पर काली पïट्टी बांधकर अपने कार्यों का निष्पादन किया। एक प्रतिनिधिमंडल विधानसभा अध्यक्ष से भी मिला। आयोग के अध्यक्ष की गिरफ्तारी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस संबंध में मुख्यमंत्री का कहना है कि एसोसिएशन के सदस्य उनसे मिले थे, लेकिन कोई ज्ञापन नहीं दिया। मुख्यमंत्री ने मामले की सीबीआइ जांच कराने से साफ इन्कार कर दिया है। इसके पीछे उनके तर्कों पर भी गौर करना होगा। एसआइटी और सीबीआइ जांच के दो उदाहरण देते हुए कहा सीबीआइ की जांच वहीं जाकर अटक गई, जहां तक एसआइटी पहुंची। इनमें से एक बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि एसआइटी ने अतिशीघ्रता से जांच को मुकाम तक पहुंचाया। दूसरा उदाहरण बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड का देते हुए कहा कि हमारी पुलिस इसकी जांच में जहां तक पहुंची सीबीआइ उससे आगे नहीं बढ़ सकी। जाहिर है, त्वरित और निष्पक्ष जांच पर मुख्यमंत्री एसआइटी पर भरोसा करते हैं। बीएसएससी पेपर लीक प्रकरण में जिस त्वरित गति से तथ्य सामने आए उससे तो यही कहा जा सकता है कि एसआइटी की जांच की दिशा सटीक और सही है। विपक्ष को भी मुख्यमंत्री ने यह कहकर चुनौती दी कि यदि उसके पास पेपर लीक प्रकरण में मंत्रियों या विधायकों की संलिप्तता के साक्ष्य हैं तो प्रस्तुत करे। इस मामले की जांच को लेकर जिस प्रकार एसोसिएशन के स्वर में विपक्ष का स्वर मिल रहा है, कहना अनुचित न होगा कि जांच की दिशा प्रभावित हो सकती है। यह भी सच है कि सरकार भी आइएएस अधिकारियों को नाराज नहीं करना चाहती। इसी वजह से मुख्यमंत्री ने कानूनी और संवैधानिक दोनों पहलू से मामले को देखने की बात कही है। लाखों युवाओं के भविष्य से जुड़े इस प्रकरण की जांच के प्रति सभी को गंभीरता से विचार करना होगा। विरोध या टकराव की जगह परस्पर सहयोग की भावना से ही न्याय की राह निकलेगी।
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हाईलाइटर ::

बीएसएससी पेपर लीक मामले में शासन हो या विपक्ष या फिर आइएएस एसोसिएशन, सभी का लक्ष्य त्वरित और निष्पक्ष जांच होना चाहिए। स्थितियों को नजरअंदाज करने या टकराव की स्थिति पैदा होने पर लाखों युवा अपने साथ न्याय होने के एहसास से वंचित रह जाएंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]