उद्योगों का विस्तार होगा तो निश्चित तौर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी। इस दृष्टि से हिमाचल प्रदेश में उद्योगों का विस्तार जरूरी है, जहां पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या करीब नौ लाख है। सुखद है कि प्रदेश सरकार भी इस मुद्दे पर गंभीर है। बद्दी में बुधवार को उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बीमार उद्योगों के लिए नीति जल्द लाने की घोषणा की है। इससे उन उद्यमियों को राहत मिलेगी, जिनके उद्योग घाटे में चल रहे हैं या बंद होने की कगार पर हैं। किसी भी उद्योग के बंद होने का सीधा अंतर उन लोगों पर पड़ता है, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उससे जुड़े होते हैं। सरकार का दावा है कि लघु व मध्यम श्रेणी के उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे, जिसके जल्द सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। सीधे तौर पर सरकार से संपर्क साधने वाले उद्योगपतियों को कोई दिक्कत नहीं आएगी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में प्रदेश के लिए औद्योगिक पैकेज मंजूर किया था, जिसके बाद बड़ी संख्या में उद्योगों ने प्रदेश में निवेश किया था। पैकेज की अवधि समाप्त होते ही निवेशकों ने हिमाचल से रुख करना शुरू कर दिया। सरकार के लिए बड़ी चुनौती औद्योगिक घरानों को प्रदेश से बाहर जाने से रोकना है। जो समस्याएं उद्यमी ङोल रहे हैं, उनका समाधान किया जाना जरूरी है। उद्योगों को रोकने के लिए सरकार को ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करवाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने होंगे। सच यही है कि प्रदेश में घोषणाओं के बावजूद अभी तक हवाई अड्डों का विस्तार नहीं हो पाया है। कांगड़ा, कुल्लू व शिमला को छोड़कर कहीं भी हवाई अड्डे विकसित नहीं हो पाए हैं। रेल नेटवर्क का विस्तार भी प्रदेश में नहीं हो सका है। बजट में घोषणाओं के बावजूद औद्योगिक क्षेत्र बद्दी को रेलमार्ग से नहीं जोड़ा जा सका है। सड़कों की हालत भी ज्यादा बेहतर नहीं है। प्रदेश में मालभाड़ा अधिक होने के कारण उद्योगों की उत्पादन लागत बढ़ जाती है, जिसका असर मुनाफे पर पड़ता है। औद्योगिक विकास पर सरकारी प्रयासों की गंभीरता को देखते हुए निश्चित तौर पर निवेशकों को प्रोत्साहन मिलेगा। उद्योगों के विकास से ही हिमाचल के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। आशा है कि सरकारी प्रयास जारी रहेंगे व आशातीत परिणाम सामने आएंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]