महानगर से सटे दक्षिण 24 परगना जिले के भांगड़ में पॉवरग्रिड कारपोरेशन की परियोजना और जमीन अधिग्रहण को लेकर दो दिन पहले बुधवार को खूनी आंदोलन हुआ। जिसमें गोली लगने से दो युवकों की मौत हो गई। पुलिस व ग्रामीणों के बीच भीषण संघर्ष हुआ था जिसमें आंदोलनकारियों ने पुलिस व प्राइवेट कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। लाठीचार्ज, आंसूगैस, रबर बुलेट भी छोड़े गए। ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव किया। उसी क्रम में दो स्थानीय युवकों मफिजुल अली खान और आलमगीर मोल्ला समेत चार लोगों को गोली लगी जिसमें मफिजुल और आलमगीर की मौत हो गई। घटना के बाद ग्रामीणों का कहना था कि पुलिस ने गोली चलाई है जिससे मौत हुई है। हालांकि, पुलिस ने फायरिंग से साफ इन्कार किया है। यहां तक कि मुख्यमंत्री सचिवालय नवान्न में खड़े हो कर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अनुज शर्मा ने भी साफ किया है कि पुलिस ने एक भी गोली नहीं चलाई। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर गोली किसने चलाई जिसमें दो युवकों की जान चली गई? भांगड़ में एक मैदान से पुलिस कर्मियों की वर्दियां, टोपी और हेलमेट लावारिस मिले हैं। जिसके बाद से कहा जा रहा है कि पुलिस के साथ पुलिस की वर्दी में कुछ अपराधी भी शामिल थे जिसने गोली चलाई है। पर, यहां भी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का तर्क है कि प्रोजेक्ट एरिया में तैनात पुलिस वाले आंदोलन के भय की वजह से वर्दी नहीं पहन सके और उसे वहां छोड़ कर भाग गए। पर, सवाल यह उठता है कि सिपाही अपनी वर्दी छोड़कर भाग गए। परंतु, दो सितारा लगी वर्दी जिस पर खून के धब्बे मिले हैं वह वहां कहां से आई? सरकार ने गुरुवार को भांगड़ में मारे गए दो युवकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये देने की घोषणा की है। पर, किसने गोली चलायी इसका तो पता चलना चाहिए। क्योंकि, इस घटना के बाद से भांगड़ के लोगों का विश्वास पुलिस पर से उठ चुका है जो कानून-व्यवस्था के लिए हितकर नहीं है। क्योंकि, ग्र्रामीणों का कहना है कि जब पुलिस के साथ अपराधी आंदोलन को दबाने के लिए गोलियां चला सकते हैं तो फिर उनकी सुरक्षा कौन करेगा?
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(हाईलाईटर : घटना के बाद से भांगड़ के लोगों का विश्वास पुलिस पर से उठ चुका है जो कानून-व्यवस्था के लिए हितकर नहीं है। क्योंकि, ग्र्रामीणों का कहना है कि जब पुलिस के साथ अपराधी आंदोलन को दबाने के लिए गोलियां चला सकते हैं तो फिर उनकी सुरक्षा कौन करेगा?)