नाले में डूबकर बच्चों की मौत की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं। इसके बाद भी सिविक एजेंसियां सचेत नहीं होती हैं। इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर एक संदेश दिया जाना चाहिए

छावला थाना क्षेत्र में श्याम कुंज कॉलोनी नाले में फंसकर तीन बच्चों सहित पांच लोगों की मौत की घटना बेहद दुखद है। हादसे से सिविक एजेंसियों की लापरवाही भी सामने आई है। ऐसे लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि मासूम लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने वालों को सबक मिल सके। ऐसा नहीं है कि पहली बार दिल्ली के नालों में किसी की जान गई है। इससे पहले भी कई बच्चे नाले में गिरकर जान गंवा चुके हैैं। जब भी इस तरह का हादसा होता है तो असुरक्षित नालों को लेकर खूब हो-हल्ला होता है। सियासत भी खूब होती है, लेकिन बाद में मामला ठंडा हो जाता है और असुरक्षित नालों पर किसी का ध्यान नहीं जाता। यह लापरवाही दिल्लीवासियों खासकर बच्चों की जान पर भारी पडऩे लगी है। श्याम कुंज कॉलोनी में भी जिस नाले के जरिये बच्चे-बड़े नाले तक पहुंचे, वहां कोई अवरोधक नहीं लगा था। लापरवाही की हद तो यह है कि नाला किसका है, इसे लेकर भी अधिकारी अलग-अलग दावा कर रहे हैं। कोई निगम का बता रहा है तो कोई बाढ़ नियंत्रण विभाग का। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है।
भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए दिल्ली के सभी नालों का सर्वे होना चाहिए ताकि असुरक्षित नालों की पहचान हो सके। खुले नालों पर विशेष तौर से ध्यान देने की जरूरत है। बच्चे इन नालों तक नहीं पहुंच सके, इसके लिए बिना समय बर्बाद किए इन्हें ढकने और अवरोधक लगाने का काम शुरू किया जाना चाहिए। नालों की सफाई भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इनमें गाद जमा रहने से गिरने से जान जाने का डर बना रहता है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों की भूमिका बढ़ जाती है। उन्हें अपने क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाना चाहिए। वहीं, आम जनता को भी सतर्क रहना होगा। लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी बच्चा असुरक्षित नाले तक नहीं पहुंच सके।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]