पंजाब में नई सरकार ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद कई जनहितैषी फैसले लिए हैं, जिनकी सराहना की जा रही है। अच्छी बात यह है कि सरकार घोषणा पत्र में किए गए अपने वादों पर शीघ्रता से अमल करने का प्रयास कर रही है। प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को सुधारने के लिए भी तत्काल व ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, क्योंकि प्रदेश में सबसे बुरी स्थिति में यही क्षेत्र है। हाल फिलहाल की घटनाओं पर ही नजर डालें तो इसकी गंभीरता का अंदाजा सहज ही हो जाएगा। मंगलवार को जहां होशियारपुर में दिनदहाड़े एनआरआइ महिला का घर में घुसकर कत्ल कर दिया गया, वहीं फिरोजपुर में मामा-भांजे की गोली मारकर हत्या कर दी गई। जलालाबाद में भी कुछ पैसों के लिए एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। बुधवार को श्री मुक्तसर साहिब के गांव मौड़ में एक दलित नाबालिग युवती से छेड़छाड़ की गई व उसके कपड़े तक फाड़ दिए गए। जब उसका पिता शिकायत करने आरोपियों के घर पहुंचा तो उसकी भी पिटाई की गई। बुधवार को ही बठिंडा में बदमाशों ने पिस्तौल के बल पर कपड़ा व्यापारी को लूट लिया। इसके अतिरिक्त चुनाव के बाद से ही चुनावी रंजिश को लेकर भी तमाम घटनाएं सामने आ चुकी हैं। निस्संदेह हालात बेहद चिंताजनक हैं और इसीलिए इस बार के विधानसभा चुनाव में कानून व्यवस्था भी एक बड़ा मुद्दा था। पिछली सरकार इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के निशाने पर रही। हालांकि सरकार को कार्यभार संभाले अभी कुछ ही दिन हुए हैं, लेकिन जिस प्रकार जनता ने प्रचंड बहुमत से सरकार चुनी है उससे अपेक्षाएं भी चरम पर हैं। जनता को उम्मीद है कि नई सरकार प्रदेश में कानून-व्यवस्था के ढीले पड़ चुके कील-कांटे शीघ्र कसकर उन्हें सुरक्षित वातावरण उपलब्ध करवाएगी। अब यह प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि अन्य फैसलों की भांति ही इस मोर्चे पर भी शीघ्र व ठोस निर्णय ले। साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारी व जवाबदेही तय करे।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]