देशभर के शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग में झारखंड के शिक्षण संस्थानों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है। हालांकि, धनबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ माइंस (आइआइटी) को नेशनल इंस्ट्ीट्यूशन रैंकिंग-2017 की सभी कोटि की रैंकिंग में 53वां स्थान मिला है। आइआइएम रांची ने पूर्व की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन करते हुए 28वें स्थान से 25वें पायदान पर जगह बनाई है। इसी तरह प्रबंधन शिक्षण के क्षेत्र में एक्सएलआरआइ, जमशेदपुर देशभर में नौवें स्थान पर है। लेकिन इस सूची में झारखंड सरकार के किसी भी विश्वविद्यालय या कॉलेज के शीर्ष 100 में स्थान न बना पाना चिंताजनक है। नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क यानी एनआइआरएफ द्वारा तैयार यह रैंकिंग पांच श्रेणियों में जारी हुई है, जिसमें ओवरऑल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, मैनेजमेंट व इंजीनियङ्क्षरग शामिल है। विश्वविद्यालय और कॉलेज की रैंकिंग में झारखंड का प्रदर्शन बेहतर नहीं है। गुणवत्ता, शोध व शैक्षणिक माहौल से जुड़े कई बिंदुओं पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय यह सर्वेक्षण पिछले साल से करा रहा है। आइआइटी धनबाद की रैंकिंग और बेहतर हो सकती थी। लेकिन रिसर्च के क्षेत्र में इसके प्रदर्शन को और मजबूत होना होगा। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस रैंकिंग में छात्रों की वोटिंग भी कराई जाती है। यह प्रक्रिया किसी के लिए भी नई है। झारखंड केकुछ संस्थानों ने पहली बार इसमें भाग लिया, जिससे इसके तकनीकी पक्ष को लेकर बहुत स्पष्टता नहीं रही होगी। बीआइटी, सिंदरी जैसे संस्थान ने इसमें भाग ही नहीं लिया। इसी तरह आइएसएम आइआइटी में बीते तीन साल से कोई पेंटेंट नहीं हुआ है। गुणात्मक शोध के मानक पर यह सब भी परखा जाता होगा। कॉलेज की श्रेणी में रांची का संत जेवियर कॉलेज 101-151 की सूची में है। निजी और सरकारी मिलाकर झारखंड में करीब 16 विश्वविद्यालय हैं। इसी तरह कॉलेजों की संख्या तीन सौ से अधिक है। सर्वश्रेष्ठ 100 विश्वविद्यालयों की सूची में पांडिचेरी और गोवा जैसे छोटे राज्य के संस्थान तक शामिल हैं। सरकार को इस दिशा में व्यापक प्रयास करना होगा। यह स्वीकार करना होगा कि झारखंड में उच्च शिक्षा में बुनियादी सुविधा और शैक्षणिक गुणवत्ता में कमी है। कई कॉलेज बेहतर कर सकते हैं, लेकिन मानव संसाधन व अन्य कारणों से इनका प्रदर्शन प्रभावित होता है। उम्मीद की जा सकती है कि जब नई रैंकिंग अगले साल जारी होगी तो झारखंड के उच्च शिक्षा संस्थान और तकनीकी संस्थान अपने प्रदर्शन से देश में नजीर बन सकेंगे।
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हाइलाइटर
झारखंड में उच्च शिक्षा में बुनियादी सुविधा और शैक्षणिक गुणवत्ता में कमी है। कई कॉलेज बेहतर कर सकते हैं, लेकिन मानव संसाधन व अन्य कारणों से इनका प्रदर्शन प्रभावित होता है।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]