आरटीए दफ्तरों के भ्रष्टाचार के खिलाफ पहली बार सरकार ने सीधा हल्ला बोला है। दलालों की सक्रियता और वाहनों की पासिंग में भ्रष्टाचार की सैकड़ों शिकायतें सरकार के पास पहुंच रही थी। दो माह पूर्व खुफिया रिपोर्ट में पांच आरटीए की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आई थी। इस रिपोर्ट में सीधे-सीधे जिला अधिकारियों पर सवाल उठाए गए थे। इस मामले में पुलिस पर भी मिलीभगत कर जांच दबाने के आरोप लगे थे। वाहन चालकों ने भी ओवरलोड के नाम पर प्रति ट्रक हजारों की वसूली की शिकायत दी थी। भ्रष्टाचार के इस गठजोड़ पर सीएम फ्लाइंग के हल्ला-बोल ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। जांच टीम अभी कार्रवाई कर रही है और यह कार्रवाई बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगी। प्रारंभिक जांच में ही जुर्माना वसूली में अनियमितता और फर्जी रसीदों तक की बात सामने आ रही है। यह साबित करता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें वहां काफी गहरी थीं। आवश्यक है कि इस मामले में वरिष्ठ अधिकारियों को भी सवालों के कटघरे में खड़ा किया जाए और इक्का-दुक्का कर्मचारियों पर कार्रवाई कर यह
मामला निपटे नहीं। बड़ी मछलियों पर भी शिकंजा कसे बिना भ्रष्टाचार पर प्रहार नहीं किया जा सकता।
फिलहाल छापामारी के बाद दलाल भूमिगत हो गए हैं। वाहनों की पासिंग की व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी हो और इसमें फर्जीवाड़े की कहीं आशंका ही न रहे। तकनीक भ्रष्टाचार से जंग में प्रमुख अस्त्र हो सकती है। प्रक्रिया ऑनलाइन कर पासिंग प्रक्रिया की वीडियोग्राफी सुनिश्चित की जाए। इसकी कापी वाहन मालिक के भी पास रहे। तय समय पर प्रक्रिया पूरी करना सुनिश्चित किया जाए। अधिक समय लगने पर अधिकारी से जवाब-तलबी हो। साथ ही ओवरलोडिंग व अन्य मामलों में जुर्माना वसूली भी ऑनलाइन की जाए। ऐसे वाहनों की भी वीडियोग्राफी हो। नियमों को पारदर्शी बना सरकार इस भ्रष्टाचार के मकड़जाल को ध्वस्त करने का मजबूत प्रयास कर सकती है। अन्यथा ऐसी कार्रवाई से एक बार तो दलाल भूमिगत हो जाएंगे और मौका मिलते ही फिर सक्रिय हो जाएंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : हरियाणा ]