मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले कई अवसरों की तरह एक बार फिर दिखाया कि वह बाकी नेताओं से अलग क्यों हैं। अगले लोकसभा चुनाव को लेकर जारी जबर्दस्त पालाबंदी के बीच राज्यपाल रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार घोषित होते ही वह पुष्पगुच्छ लेकर राजभवन पहुंचे और श्री कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर हर्ष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए व्यक्तिगत खुशी का विषय है। इसके विपरीत सत्तारूढ़ महागठबंधन के दो अन्य घटक दलों राजद और कांग्रेस ने श्री कोविंद की उम्मीदवारी पर संकेतों में असहमति जताते हुए चुप्पी साधे रखी। श्री कोविंद ने बिहार के राज्यपाल के रूप में करीब 22 महीने के कार्यकाल में अपनी विचारधारा का पूर्वाग्रह त्यागकर जिस तटस्थता के साथ अपने सांविधानिक दायित्व का निर्वहन किया, वह उन्हें देश के सर्वोच्च सांविधानिक पद का दावेदार साबित करता है। वह समाज के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसे आसानी से शिक्षा का अवसर भी नसीब नहीं होता। ऐसी पृष्ठभूमि से आगे बढ़े श्री कोविंद ने शिक्षा और परिश्रम के जरिए जो मुकाम हासिल किया, वह उन्हें वंचित वर्गों के करोड़ों किशोरों-युवाओं का रोल मॉडल बनाता है। नीतीश कुमार ने ऐसे व्यक्ति के प्रति सम्मान और लगाव प्रदर्शित करके एक बेहतरीन परंपरा आगे बढ़ाई। वह बार-बार साबित करते हैं कि गुणवत्ता और राष्ट्रहित के सवाल पर राजनीति उनकी बाधा नहीं बन सकती। वैचारिक मतभेद होते हुए भी वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी सहित कई अच्छे फैसलों की सार्वजनिक सराहना कर चुके हैं। उधर, प्रधानमंत्री भी उनके शराबबंदी फैसले के मुरीद हैं। यह अच्छा समय है कि देश के दो बड़े नेता ऐसी स्वस्थ राजनीतिक परंपराओं को मजबूत कर रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि मोदी और नीतीश की यह राजनीतिक शैली अन्य दलों और नेताओं को भी प्रेरित करेगी कि वे राष्ट्रहित के सवालों पर राजनीतिक हदबंदी तोड़कर एकजुटता दिखाएं। राष्ट्रपति चुनाव देश की लोकतांत्रिक शासन प्रणाली का हिस्सा है। इसमें कोई बुराई नहीं कि कोविंद की उम्मीदवारी पर असहमति जताकर विपक्ष अपना उम्मीदवार मैदान में उतारे। लोकतंत्र में पक्ष-विपक्ष का वजूद जरूरी है। फर्क सिर्फ इस सोच से पैदा होता है कि राष्ट्रहित हर लक्ष्य से बड़ा है। कोविंद की उम्मीदवारी पर अपने स्पष्ट स्टैंड से नीतीश कुमार ने इसी सोच का परिचय दिया।
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राजभवन में रामनाथ कोविंद को बधाई देते हुए नीतीश कुमार अपने विरोधी खेमा राजग के एक ऐसे फैसले का स्वागत कर रहे थे जिसमें देश के एक बड़े एवं वंचित वर्ग की खुशी झलक रही थी। यही वो सोच है जो नीतीश कुमार को भाजपा विरोधी पाले के सबसे बड़े नेता के रूप में प्रतिष्ठित करती है।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]