स्वच्छता के प्रति सजगता
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने निर्देश दिया कि डलाव घरों की री-इंजीनियरिंग इस तरह से की जाए कि कूड़ा उसके आसपास न फैले।
दिल्ली में स्वच्छता को लेकर उपराज्यपाल अनिल बैजल के निर्देश स्वागतयोग्य हैं। इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि देश को खुले में शौचमुक्त बनाना है तो राष्ट्रीय राजधानी को इस अभियान के अगुआ की भूमिका निभानी ही होगी। स्वच्छता के मामले में दिल्ली को आदर्श स्थापित करना चाहिए, ताकि दूसरे राज्य इससे प्रेरणा लें और पूरा देश स्वच्छता के प्रति सजग हो। विगत सोमवार को तीनों नगर निगमों की समीक्षा बैठक में उपराज्यपाल ने दिल्ली में स्वच्छता पर खास जोर दिया, जो अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने निर्देश दिया कि डलाव घरों की री-इंजीनियरिंग इस तरह से की जाए कि कूड़ा उसके आसपास न फैले और पशु इसके इर्द-गिर्द न घूमे। कॉलोनियों व व्यावसायिक परिसरों में स्वच्छता के लिए आरडब्ल्यूए और अन्य सामाजिक संस्थाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए उनसे लगातार फीडबैक लेने संबंधी उनका निर्देश भी इस दिशा में काफी अहम साबित हो सकता है। आवश्यकता इस बात की है कि उनके निर्देशों पर सरकारी एजेंसियां व सामाजिक संस्थाएं पूरी इच्छाशक्ति के साथ अमल करें।
यह निराशाजनक ही है कि राष्ट्रीय राजधानी होने के बावजूद एनडीएमसी क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य इलाकों में स्वच्छता की स्थिति बदहाल है। गंदगी से ही दिल्ली के इलाकों में मच्छर पनप रहे हैं और बड़ी संख्या में दिल्लीवासी मच्छरजनित रोगों से ग्रस्त हो रहे हैं। दिल्ली के बाहरी एवं ग्रामीण इलाकों में खुले में शौच जैसी सामाजिक कुरीति अब भी मौजूद है, जिससे तत्काल छुटकारा पाने की आवश्यकता है। दिल्ली को स्वच्छ रखने के लिए यह जरूरी है कि दिल्ली सरकार, एमसीडी व अन्य सरकारी एजेंसियां यह सुनिश्चित करें कि अधिकारी-कर्मचारी उपराज्यपाल के निर्देशों पर गंभीरता से कार्य करें। साथ ही दिल्ली की धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं, आरडब्ल्यूए व बाजार एसोसिएशन आगे आएं और स्वच्छता की सतत अलख जगाएं। यह सभी को समझना होगा कि कुछ दिन स्वच्छता अभियान चलाकर और स्थानीय स्तर पर झाड़ के साथ फोटो खिंचवाकर स्वच्छता नहीं हासिल की जा सकती। स्वच्छता को मन से अपनाना होगा और उसे प्रत्येक दिल्लीवासी को अपने सामान्य व्यवहार में लाना होगा, तभी दिल्ली स्वच्छ होगी और दिल्लीवासी स्वस्थ रहेंगे।
[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]