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स्कूली बसें बनीं ताबूत

By Edited By: Published: Thu, 06 Sep 2012 12:38 AM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2012 12:46 AM (IST)

सांबा जिले के विजयपुर और रामगढ़ इलाके में बिना कंडक्टर के स्कूली बसों द्वारा अपने ही स्कूलों के दो बच्चों को कुचल दिए जाने की घटना घोर लापरवाही दर्शाती है। पहली घटना रांजड़ी में हुई, जहां बच्चों को घर छोड़ने निकली मिनी बस ने हड़बड़ाहट में गाड़ी पीछे मोड़ते समय बच्चे को अपनी चपेट में ले लिया। इतना ही नहीं, रामगढ़ में आर्मी स्कूल से अटैच एक मिनी बस ने आठवीं कक्षा के एक छात्र को कुचल डाला, जब वह बस से उतर रहा था। इन घटनाओं पर अगर गौर किया जाए तो दोनों बसों में कंडक्टर तथा हेल्पर नदारद थे। इन घटनाओं में जहां ट्रैफिक विभाग की गलती है, वहां स्कूल प्रबंधन की भी घोर लापरवाही जाहिर होती है। विडंबना यह है कि अधिकतर स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा के इंतजाम नहीं होते जिस कारण ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं जिसके लिए घरवालों को पूरी जिंदगी पछताना पड़ता है। ऐसी दुर्घटनाओं के बाद न तो प्रशासन कोई कार्रवाई करता है और न ही स्कूल प्रबंधन कोई सबक लेता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। पिछले वर्ष नवंबर माह में ग्रेटर कैलाश, ज्यूल इलाके, परगवाल और कालूचक इलाकों में कुछ इन्हीं परिस्थितियों में कई स्कूली विद्यार्थियों को जान गंवानी पड़ी। बावजूद इन घटनाओं से प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। शुरूआत में जरूर थोड़ी सख्ती की गई लेकिन बाद में फिर जिंदगी ढर्रे पर लौट आई। लेकिन जिन परिवारों ने अपने मासूमों को स्कूल प्रबंधन या प्रशासन की लापरवाही के कारण खो दिया, वे उसे जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि जम्मू में अधिकतर निजी स्कूलों की अपनी तथा किराए पर लगाई गई बसें सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रही हैं। कुछ बसों में न तो आग बुझाने वाली कोई यंत्र है, न कंडक्टर व हेल्पर और न ही बसों पर स्कूल का टेलीफोन नंबर लिखा होता है। इतना ही नहीं, बसों में फ‌र्स्ट एड बाक्स और न ही दरवाजों को लॉक करने का कोई प्रबंध नहीं होता। अधिकतर बसें किराए पर स्कूल से अटैच होती हैैं और स्कूल के बच्चों को लाने और ले जाने के लिए ही इनकी सेवाएं ली जाती हैं। अधिकतर बसों में अटेंडेंट न होने के कारण ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं। अभिभावकों का भी यह दायित्व बनता है कि वह ऐसी बसों में अपने बच्चों को न भेजें जिनमें वे अपने बच्चों को सुरक्षित महसूस नहीं करते। ट्रैफिक पुलिस के अलावा प्रशासन का भी यह दायित्व बनता है कि वह ऐसे स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें जो नियमों का उल्लंघन कर बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।

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[स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर]

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