शहादत को सलाम
अपने पैरों पर इस मजबूती से खड़े होना कि किसी भी आघात को देश से पहले अपने ऊपर ले लेना.. यही संभवत: देश
अपने पैरों पर इस मजबूती से खड़े होना कि किसी भी आघात को देश से पहले अपने ऊपर ले लेना.. यही संभवत: देशभक्ति का सार है। और यह सार शहीद अंकित प्रधान ने व्यवहार से सिखाया है। सैन्य परंपरा के हिसाब से देश के परमवीरों शहीद मेजर सोमनाथ शर्मा और शहीद मेजर धन सिंह थापा की धरती का यह वीर बहुत पथरीले रास्तों से होता हुआ मुख्यधारा में पहुंचा था और जब जरूरत पड़ी तो उसने खुद को देश पर कुर्बान कर दिया। कोई घर कैसे संस्कारों की खाद देकर वीर तैयार करता है, यह शहीद अंकित प्रधान के संदर्भ में जाना जा सकता है। एक बार फिर साबित हुआ है कि हिमाचल प्रदेश की पहचान देवभूमि ही नहीं वीरभूमि के रूप में भी क्यों है। देश के आजाद होने से पहले और देश की आजादी के लिए यहां के शूरवीरों ने अपना सर्वोच्च बलिदान देकर भारत मां का गौरव बढ़ाया है। इतिहास भी हिमाचली जांबाजों की कुर्बानियों से भरा पड़ा है। धर्मशाला के अंकित ने भी जम्मू-कश्मीर में शहादत का जाम पी कर अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करवा लिया है। यह सही है कि जवान बेटे को खोने का गम मां-बाप को हमेशा रहेगा लेकिन वे बेटे की शहादत पर गर्व करेंगे। उन्हें इस बात का फº होगा कि उनका बेटा भारत मां के काम आया है। भारत मां के काम आने का सौभाग्य भी सभी को नहीं मिलता है। हिमाचल प्रदेश के लिए यह भी गर्व की बात है कि अन्य प्रदेशों की तुलना में यहां के अधिक लोग सेना में सेवारत हैं। कारगिल के युद्ध में भी हिमाचल के जांबाजों ने शहादत की जो इबारत लिखी थी उसकी गाथा हर जगह सुनी जा सकती है। यहां के जांबाजों के फौलादी हौसले के सामने दुश्मन भी कांपते हैं। उधर यह पक्ष निराश करने वाला भी है कि यहां के कई युवा नशे के शिकार होकर पथभ्रष्ट हो रहे हैं। सेना की भर्ती में उनका दम फूलना दुखद है। आज जरूरत इस बात की है कि अभिभावकों के साथ-साथ प्रदेश के नीति नियंता युवा पीढ़ी को नशे के चंगुल से दूर रखने के लिए प्रयासरत हों। बच्चों को शहीदों के बारे में बताया जाए। उदाहरण और आदर्श हमारे आसपास ही पलते-पनपते हैं लेकिन बस उन्हें देखने वाली आंख होनी चाहिए। शहीदों की गाथाएं पाठयक्रमों में इसीलिए आनी चाहिए। शहीद अंकित प्रधान और उनके अदम्य साहस को नमन।
[स्थानीय संपादकीय: हिमाचल प्रदेश]