तेजाबी हमले
पंजाब में तेजाब से हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पिछले कुछ समय में एक के बाद एक घटी ऐसी घटनाओं
पंजाब में तेजाब से हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पिछले कुछ समय में एक के बाद एक घटी ऐसी घटनाओं ने कइयों के जीवन में अंधकार भर दिया है। तेजाब का शिकार होने वाले का सिर्फ तन ही नहीं झुलसता, अपितु मन, अंतरआत्मा, आत्मविश्वास सब कुछ झुलस कर रह जाता है। इससे उबरने के लिए जिस साहस, जीवट, पारिवारिक-सामाजिक सहयोग की आवश्यकता होती है, वह अक्सर आसानी से देखने को नहीं मिलती है। हैरत की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और इस संबंध में तमाम दिशानिर्देशों के बावजूद देश भर में आए दिन तेजाब फेंकने की घटनाएं सामने आ रही हैं। पंजाब भी इससे अछूता नहीं है। यहां भी लगातार ऐसे मामले सामने आते हैं। गत दिवस भी गुरदासपुर जिले के काहनूवान में परीक्षा देकर घर लौट रही नेटबाल की राज्य स्तरीय प्रतिभाशाली खिलाड़ी पर मोटरसाइकिल सवार दो युवकों ने तेजाब फेंक दिया। प्रदेश में ऐसी घटनाओं की लंबी फेहरिस्त है। 7 दिसंबर 2013 की घटना को भला कौन भूल सकता है, जब बरनाला की हरप्रीत कौर दुल्हन बनने के लिए लुधियाना के एक सैलून में आई थी और वहां कुछ युवकों ने उस पर तेजाब फेंक कर उसके सपने और जीवन दोनों छीन लिए। निस्संदेह ऐसी घटनाएं इसलिए हो रही हैं क्योंकि तमाम प्रतिबंध के बावजूद आज भी प्रदेश में आसानी से तेजाब खरीदा जा सकता है। यह हाल तब है जबकि प्रशासन ने ऐसे नियम निर्धारित कर रखे हैं, जिसके अनुसार खरीदार को तेजाब की खरीद करते समय अपनी फोटो वाला पहचान पत्र देने के साथ ही तेजाब के इस्तेमाल संबंधी जानकारी भी देनी होती है। इसके पश्चात इस्तेमाल के मुताबिक ही तेजाब मुहैया करवाया जाता है, परंतु अपेक्षानुरूप नियम-कानून फाइलों की ही शोभा बढ़ाते हैं। धरातल पर तस्वीर बेहद खौफनाक है। सरकार और प्रशासन दोनों को चेतना होगा, कड़े कदम उठाने होंगे। तेजाब फेंकने वालों पर तो कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी ही होगी, साथ ही उन दुकानदारों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाना होगा, जो मौत के इस सामान को नियम-कानून ताक पर रखकर बेच रहे हैं। सजा के कड़े प्रावधान, सख्ती और सजगता से ही तेजाब फेंकने की घटना पर लगाम लगने की उम्मीद की जा सकती है।
[स्थानीय संपादकीय: पंजाब]