बदरंग न हों रंग
होली रंगों व उल्लास का त्योहार है। यह त्योहार हर रंजिश या विरोध को भुलाकर मिलन का प्रतीक है। होलिका
होली रंगों व उल्लास का त्योहार है। यह त्योहार हर रंजिश या विरोध को भुलाकर मिलन का प्रतीक है। होलिका दहन के रूप में होली पर बुराई पर अच्छाई की जीत की भी प्रेरणा मिलती है। यह दुखद है कि कई लोग होली पर हुड़दंग मचाते हैं जो किसी सभ्य समाज में शोभा नहीं देता है। होली पर अपनों के साथ नाचना या गाना गलत नहीं है मगर किसी अपरिचित को जबरदस्ती रंग लगाना सही नहीं है। हर हिमाचलवासी का प्रयास हो कि होली का माहौल खुशनुमा रहे। कोई इस डर से आपके सामने न आए कि कहीं आप उसे रंग न दें तो यह गलत है। होली शालीन तरीके से मनाई जानी चाहिए। लोग प्रयास करें कि वे केवल सूखे व हर्बल रंगों का ही प्रयोग करें। घातक रसायनों वाले रंगों का तो भूल कर भी इस्तेमाल न करें। कोशिश यह की जाए कि इस त्योहार के बहाने पर्यावरण का संरक्षण भी हो। कई लोग होली पर अत्यधिक पानी बर्बाद करते हैं जो नहीं होना चाहिए। सूखे रंगों के साथ होली खेलने का फायदा यह होता है कि उससे पानी की बचत होती है। इससे भविष्य में पानी के संकट को कुछ हद तक दूर किया जा सकता है। उमंग के इस त्योहार में जब होलिका जलती है तो बुराई को भी दहन किया जाना चाहिए। हर इन्सान में कोई न कोई कमी जरूर होती है। इसलिए होली पर प्रण लें कि कम से कम किसी एक बुराई का त्याग कर दिया जाए। इससे खुद में सुधार की प्रकिया भी जारी रहेगी और इस बहाने आत्म सुधार के लिए मंथन भी हो जाएगा। यह भी जरूरी है कि कम से कम एक अच्छाई भी त्योहार पर अपनाई जाए। यदि कुछ न करना हो तो किसी त्योहार, उत्सव, जन्मदिन या किसी भी खास मौके पर पौधा रोपने का संकल्प लिया जाएगा। हर आदमी का यह छोटा सा कदम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ी पहल होगा। प्रदेश में इन दिनों स्वाइन फ्लू का खौफ है। लोगों को चाहिए कि वे होली पर इस बीमारी से सचेत रहें। यदि कोई व्यक्ति स्वाइन फ्लू से पीड़ित है तो रंग लगाने के लिए उसके पास न जाएं। यदि किसी को कई दिन से सर्दी या खांसी है तो उससे भी दूर से ही मिला जाए। यह कोशिश करें कि भीड़भाड़ से दूर रहा जाए। यदि सभ्य तरीके से होली मनाई जाए तो इसमें कोई शक नहीं कि होली के रंग बदरंग नहीं होंगे।
[स्थानीय संपादकीय: हिमाचल प्रदेश]