गंभीर चुनौती
अगले पांच वषरें में सभी कस्बों में सीवरेज ट्रीटमेंट संयंत्र लगाने की सरकार की घोषणा सराहनीय है पर सा
अगले पांच वषरें में सभी कस्बों में सीवरेज ट्रीटमेंट संयंत्र लगाने की सरकार की घोषणा सराहनीय है पर साथ ही अनेक सवाल भी सामने आ रहे हैं। यह सुखद है कि राज्य ने विकास की लंबी उड़ान भरी पर यह भी कटु सत्य है कि आधारभूत नागरिक सुविधाओं में प्रदेश अन्य राज्यों के मुकाबले दशकों पीछे है। ग्रामीण इलाकों में केवल तीस प्रतिशत घरों में ही पेयजल कनेक्शन हैं, शहरी क्षेत्रों में भी हालात निराशाजनक हैं। बिजली, पानी, सड़क, सीवरेज सुविधाओं की कहीं भी उत्साहजनक स्थिति नहीं, बात सीवरेज ट्रीटमेंट या अन्य उन्नत नागरिक सुविधाओं की हो तो सरकार स्वयं स्वीकार कर रही है कि इसमें अभी बहुत समय लगेगा। वास्तविकता यह है कि अधिकतर जिलों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट या तो चल ही नहीं रहे या फिर उनकी क्षमता आवश्यकता से आधी भी नहीं। कार्य की गति को देखते हुए लग रहा है कि जिला मुख्यालयों में पूरी क्षमता के संयंत्र स्थापित होने में ही एक दशक लग जाएगा, कस्बों का नंबर तो इसके कहीं बाद आएगा। पिछली सरकारों ने इस दायित्व के प्रति अपेक्षित गंभीरता नहीं दिखाई जिस कारण पिछड़ापन बढ़ता गया। उसकी क्षतिपूर्ति के लिए अब अतिरिक्त प्रयासों के बिना काम नहीं चलने वाला। पिछले एक दशक के दौरान शहरीकरण की रफ्तार जिस तेजी से बढ़ी, नागरिक सुविधाओं की गति उसके मुकाबले दस प्रतिशत भी नहीं रही। पिछली सरकार की अवैध कालोनियों को वैध करने की लचर नीति भी नागरिक सुविधाओं के विस्तार के राह की बड़ी बाधा बनी। समस्या दो स्तरों पर बढ़ती गई। योजनाएं बनाते समय शहरीकरण के विस्तार में आधारभूत नागरिक सुविधाओं को शामिल करने का सही अनुमान नहीं लगाया गया। शहरीकरण बेतरतीब हुआ, इसकी गति अनुमान से तीन से चार गुना अधिक रही। अवैध कालोनियां कुकुरमुत्तों की तरह उभरीं, इनमें नागरिक सुविधाओं के लिए कोई स्थायी व्यवस्था हो पाना असंभव था, लेकिन सियासी लाभ उठाने के लिए तमाम नियम-कानून ताक पर रख कर इन्हें नियमित करने की जब-तब घोषणा होती रही। ऐसी कालोनियों में सड़क, बिजली, जलापूर्ति और सीवरेज सिस्टम के लिए नए सिरे से तैयारी करनी पड़ी। लाख कोशिशों के बावजूद सहज-सामान्य तरीके से सुविधाएं उपलब्ध करवाना संभव नहीं हो सकता। अवैध कालोनियों के बारे में आरंभ से ही सख्ती बरती जाती तो सुविधाओं का पिछड़ापन रोका जा सकता था। खैर, सरकार ने इस बारे में गंभीर शुरुआत की तो अब योजनाओं पर समयबद्ध तरीके से अमल सुनिश्चित करना सबसे बड़ी चुनौती साबित होगी।
[स्थानीय संपादकीय: हरियाणा]