बेटियों पर संकट
आखिर कब तक क्रूरता का दंश झेलती रहेंगी बेटियां। सूबे में पिछले कुछ महीनों के दौरान आधी आबादी के साथ
आखिर कब तक क्रूरता का दंश झेलती रहेंगी बेटियां। सूबे में पिछले कुछ महीनों के दौरान आधी आबादी के साथ अत्याचार के मामले बढ़े हैं। दुष्कर्म के मामले तो न केवल कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर बिहार की छवि को धूमिल कर रहे हैं, बल्कि राज्य सरकार के अच्छे कामों पर बट्टा भी लगा रहे हैं। प्रदेश में नवंबर 2012 में 927 महिलाएं हवस की शिकार हुईं थीं। नवंबर 2013 में यह आंकड़ा 1052 पहुंच गया। इस साल की सबसे सनसनीखेज घटना अक्टूबर में भोजपुर में हुई जिसमें छह महादलित महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। हालात ऐसे बन रहे हैं कि फिर से लोग बेटियों को पढ़ाई के लिए स्कूल-कोचिंग संस्थानों में भेजने में डरने लगे हैं। परिजनों की सांसें तब तक अटकी रहती हैं, जब तक उनकी बेटियां विद्यालय और कोचिंग से लौट नहीं आतीं। इस हफ्ते दो ऐसी घटनाएं हुई हैं जो पढ़ने-लिखने को हिम्मत जुटा रहीं बच्चियों का मनोबल तोड़ने वाली हैं। घटनाएं इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि पटना, जहां पूरी सरकार बैठती है, से घटनास्थल बहुत दूर नहीं है। दोनों मामले में पुलिसिया लापरवाही साफ दिखाई देती है।
पहली घटना गुरुवार को राजधानी पटना से पैंतीस किलोमीटर दूर बिहटा में हुई। यहां आरा निवासी इंटर की छात्रा से आधा दर्जन लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया। घटना दिनदहाड़े हुई। गौर करें तो थोड़ी गलती लड़की और उसके दोस्त की भी मानी जाएगी, दोनों ने बातें करने के लिए सन्नाटे वाली जगह को क्यों चुना? गनीमत रही कि जिस समय लड़की दरिंदों के चंगुल में फंसकर शोर मचा रही थी, एक महिला जो पास में लकड़ियां चुन रही थी, ने चीख सुन सड़क पर पहुंचकर भीड़ को जुटा लिया और लोगों के शोर मचाने पर पांच दरिंदे भाग निकले, लेकिन एक को भीड़ ने दबोच लिया। यहां निर्भया कांड की पुनरावृत्ति होने से बच गई, क्योंकि दरिंदों ने जिस तरह से लड़की और उसके दोस्त को गमछे से बांध दिया था उससे वे मकसद में कामयाब होने के बाद हत्या जैसी वारदात को भी अंजाम दे सकते थे। घटना ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। बिहटा, जिसे ग्रेटर पटना का स्वरूप देने का मंसूबा राज्य सरकार ने पाल रखा है, आइआइटी समेत कई प्रमुख संस्थानों की जहां धमक हो चुकी है, वहां दिन में पुलिस का सुस्त होना समझ से परे है। अगर भीड़ ने मुख्य आरोपी को पकड़कर न दे दिया होता तो शायद पुलिस अंधेरे में ही तीर चला रही होती। दूसरे दिन शुक्रवार को जहानाबाद के कुर्था थाना क्षेत्र में तेरह वर्षीय छात्रा का शव खेत से बरामद हुआ। उसका गला घोंटा गया। पुलिस ने आशंका जतायी है कि हत्या के पूर्व उसके साथ दुष्कर्म किया गया। सिकरिया गांव की लड़की गुरुवार को ट्यूशन पढ़ने गई थी। मामले में पुलिस की लापरवाही इस रूप में झलकती है कि उसने जानकारी के बावजूद उस दिन कुछ नहीं किया जिस दिन लड़की गायब हुई। परिणाम यह निकला कि अगले दिन लाश खेत में मिली। ऐसे समय जब सत्तारूढ़ जदयू सरकार विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग गई है, कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर उसकी ढीली लगाम दुखदायी हो सकती है।
[स्थानीय संपादकीय: बिहार]