डॉक्टरों की सेवाएं
जम्मू-कश्मीर के दूरदराज क्षेत्रों में पिछड़ रही स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए सरकार ने एक आ
जम्मू-कश्मीर के दूरदराज क्षेत्रों में पिछड़ रही स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए सरकार ने एक आदेश जारी कर डॉक्टरों को इन इलाकों में भेजने का मन बनाया है। इस आदेश से पिछड़े क्षेत्रों में रह रहे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी और उन्हें इलाज के लिए जम्मू या श्रीनगर के अस्पतालों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। सरकार ने वर्ष 2004 में भी ऐसा ही एक आदेश जारी किया था, जिसमें दूरदराज क्षेत्र के इलाकों में डॉक्टरों को सात वर्ष तक सेवाएं देने का निर्देश जारी किया था। विडम्बना यह है कि इन नियमों को कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। अगर पूर्व आदेश को सख्ती से लिया जाता तो आज जम्मू-कश्मीर स्वास्थ्य क्षेत्र में पिछड़ा न होता। सरकार ने यहां तक कि डॉक्टरों को चेतावनी दे दी थी कि जो डॉक्टर आदेश की अवहेलना करेंगे उन्हें नौकरी से गैर हाजिर समझा जाएगा। इस आदेश के अंतर्गत बेरोजगार डॉक्टरों को भी इस शर्त पर ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात किया गया था कि वह इन इलाकों में अपनी सेवाएं देंगे, लेकिन नौकरी में पक्का होने के बाद डॉक्टरों ने यू-टर्न ले लिया और वह छुट्टी या फिर गैर हाजिर रहने लगे। डॉक्टरों का पेशा लोगों की सेवा करना है न कि अपने हितों व स्वार्थ को देखना। इससे तो जाहिर हो जाता है कि इन डॉक्टरों ने दूसरों के लिए भी नौकरी के अवसर छीन लिए। यह अच्छी बात है कि सरकार ने एक बार फिर अपने पुराने आदेश को गंभीरता से लागू करने का मन बनाया है। ग्रामीण इलाकों में अभी भी डॉक्टरों को भगवान के रूप में पूजा जाता है। अगर एक नौजवान व्यक्ति अपनी जिंदगी के कुछ वर्ष लोगों को समर्पित भी कर देता है तो इसमें कोई बुराई नहीं। यह बात किसी से छिपी नहीं कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की काफी कमी है। कई बार शहरों के अस्पतालों में शिफ्ट करते हुए कई मरीजों की मौत तक हो जाती है। अगर यह डॉक्टर पूरी निष्ठा और कर्तव्य से काम करें तो उस देश का भविष्य निखर सकता है। पैसा कमाने की खातिर कुछ लोग जिंदगी में शार्टकट अपनाने की कोशिश तो करते हैं, लेकिन वह जिंदगी में सफल नहीं हो पाते हैं। अनुभव पाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है और इसके आधार पर व्यक्ति किसी मुकाम या शिखर पर पहुंचता है।
[स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर]