जरूरत संकल्प दीप की
प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार के प्रयासों को आमजन द्वारा पर्याप्त महत्व न दिया जाना चिंतनीय है। हर व
प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार के प्रयासों को आमजन द्वारा पर्याप्त महत्व न दिया जाना चिंतनीय है। हर विषम परिस्थिति, महंगाई ,अपराध, जन सुविधाओं में कमी पर सरकार के माथे पर ठीकरा फोड़ने की प्रवृत्ति इस कदर घर कर गई कि छूटने का नाम नहीं ले रही। कुछ दायित्व ऐसे भी हैं जो आमजन का निभाने चाहिए परंतु अधिकारों की तलब ऐसी है कि कर्तव्य मीलों दूर छूट जाते हैं। यह जानते हुए भी कि उन दायित्वों के पालन से स्वयं को ही लाभ होना है, लोग मुंह फेर रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन रहा है। दिल, दिमाग, लीवर, किडनी के रोगियों की संख्या पिछले एक दशक में दस गुणा तक बढ़ गई। सबको मालूम है कि बदलती जीवनशैली, काम के दबाव और प्रदूषण बीमारी बढ़ने के सबसे बड़े कारण हैं। कम से कम एक कारण को कम करने के लिए तो आमजन को आगे आना चाहिए। दीपावली खुशियों का त्योहार है, सुख, शांति की कामना के साथ उल्लास मनाने का अवसर है पर इस उत्सव को स्वास्थ्य के लिए घातक अवसर का रूप क्यों दिया जाए, आर्थिक संसाधनों की बर्बादी का दिन क्यों बनाया जाए? वैज्ञानिक शोध हर साल छपते हैं जिनमें बताए गए आंकड़े आंखें खोलने वाले होते हैं। दिवाली के दिन प्रदूषण में इतनी वृद्धि हो जाती है कि वातावरण को सामान्य स्थिति में आने में कई दिन लग जाते हैं। सरकार व स्वयंसेवी संस्थाएं पटाखा रहित दिवाली के लिए बार-बार अपील कर रही हैं पर इसका विपरीत असर हो रहा है। पटाखों की बिक्त्री हर साल बढ़ रही है। उद्योगों, वाहनों आदि से प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। समय और विषय तार्किक मंथन का है। क्या हम अपना भला-बुरा सोचने की क्षमता नहीं रखते? धन से अपने लिए बीमारी खरीदना कहां तक औचित्यपूर्ण है? यदि खर्च करने की ठान ही रखी है तो किसी जरूरतमंद व्यक्ति या बीमार के इलाज के लिए कीजिए। दीपावली खुशी मनाने के साथ संकल्प करने का भी दिन है। दीयों, लड़ियों से घर को रोशन करें, एक-दूसरे से मिल शुभकामना दें पर आतिशबाजी से अपने और दूसरों के लिए आफत खड़ी न करें। लक्ष्मी पूजन के साथ संकल्प लें कि प्रदूषण रोकने के विशेष अभियान में अंशदान आप भी करेंगे तभी विशेष उत्सव का लाभ मिल सकेगा। पर्यावरण प्रदूषण ऐसी चुनौती है जिससे निरंतर गंभीर और ईमानदार प्रयासों से ही निपटा जा सकता है। यह फैशन या शगल का विषय नहीं, दृढ़ संकल्प का विषय है।
[स्थानीय संपादकीय: हरियाणा]