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डेंगू के प्रति उदासीनता

By Edited By: Published: Wed, 24 Sep 2014 05:18 AM (IST)Updated: Wed, 24 Sep 2014 05:18 AM (IST)
डेंगू के प्रति उदासीनता

दिल्ली में डेंगू के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच इसे रोकने के प्रयासों में उदासीनता दिखाई देना गंभीर चिंता का विषय है। मामला तब और भी गंभीर हो जाता है जब यह सामने आता है कि डेंगू से लड़ने वाले स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में ही डेंगू पैदा करने वाले एडीज मच्छर के लार्वा पनप रहे हैं और उन्हें रोकने के इंतजाम पूरी तरह बेअसर नजर आ रहे हैं। राजधानी के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में से एक लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में दो जगह एडीज मच्छर का लार्वा पाया जाना अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। नगर निगम के जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा हाल ही में मारे गए छापे में इस अस्पताल के साथ ही कई सरकारी कार्यालयों और घरों में भी एडीज के लार्वा पाए गए हैं। विभाग ने 34 सरकारी कार्यालयों का कोर्ट चालान भी किया है। यदि अस्पताल में एडीज का लार्वा पनपने से रोकने में सफलता नहीं मिल रही है तो अन्य स्थानों पर इसे रोकने के प्रयास कितने प्रभावी साबित होंगे, यह आसानी से समझा जा सकता है।

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राजधानी में इस वर्ष अब तक डेंगू के 75 मामले सामने आ चुके हैं और यह संख्या तेजी से बढ़ रही है। लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के आसपास यानी पूर्वी दिल्ली नगर निगम के शाहदरा उत्तरी क्षेत्र में डेंगू के सात और शाहदरा दक्षिणी क्षेत्र में दो मामले सामने आ चुके हैं। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन द्वारा इस तरह की लापरवाही दर्शाया जाना कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। प्रत्येक सरकारी अस्पताल में मच्छरों के लार्वा को पनपने से रोकने के लिए एक नोडल अफसर की नियुक्ति अवश्य की गई है, लेकिन हालात दर्शाते हैं कि ये मात्र खानापूर्ति ही साबित हो रही है। अस्पताल प्रशासन को लार्वा मिलने के मामले को गंभीरता से लेते हुए जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग को भी अधिक सक्रियता दर्शाते हुए छापेमारी जारी रखनी चाहिए ताकि अधिकाधिक लोगों को डेंगू से बचाया जा सके। इसमें कतई संदेह नहीं कि लार्वा पनपने से रोक कर ही डेंगू के प्रकोप से बचा जा सकता है। इसके लिए नगर निगम के साथ ही विभिन्न कार्यालयों में तैनात अधिकारियों और आम लोगों को भी आगे आना चाहिए और कार्यालयों या घरों में पानी को जमा होने से रोकने की पहल करनी चाहिए।

[स्थानीय संपादकीय: दिल्ली]


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