मनुष्य के जीवन में विश्वास करना सबसे कठिन कामों में से एक है। उसके मन-मस्तिष्क में अक्सर द्वंद्व चलता रहता है। कभी उसे कोई चीज सत्य जान पड़ती है, कभी वही चीज असत्य। जैसे कभी वह रस्सी को सांप समझ बैठता है, कभी सांप को रस्सी। इसलिए वह किसी पर एकदम से विश्वास नहीं कर पाता। वह मुख्यत: भ्रम की स्थिति में ही रहता है। कई बार उसे स्वयं पर भी विश्वास नहीं होता, जबकि उसके लिए इससे आसान कोई दूसरा काम नहीं होता। हर व्यक्ति अपनी क्षमताओं को भली-भांति जानता है। इसी आधार पर वह खुद पर विश्वास कर सकता है, लेकिन ज्यादातर लोग अपनी क्षमताओं को जानने के बावजूद इन्हें लेकर भ्रम की स्थिति में पड़ जाते हैं। इस उलझन में फंस जाते हैं कि वे संबंधित कार्य को पूरा कर पाएंगे या नहीं। हम प्राय: अपने बारे में नकारात्मक टिप्पणियों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं और सकारात्मक टिप्पणियों की उपेक्षा कर देते हैं। इसी तरह हमें असफलता का भय ज्यादा डराता है और इस चक्कर में हम कई बार अपने कार्य शुरू ही नहीं कर पाते हैं। महात्मा गांधी कहते थे कि कुछ न करने से बेहतर है कुछ करना। हमें नकारात्मकता की बजाय सकारात्मकता पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
कई बार हम अपनी छोटी-छोटी उपलब्धियों को भी नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि ये दूसरे कार्यों में हमारी प्रेरणा बन सकती हैं। जब हम दूसरों की मदद करते हैं तब भी हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है, इसलिए दूसरों की मदद करनी चाहिए। अपने कर्म के प्रति हमें अपने भीतर इतना मजबूत विश्वास जगाना होगा कि हम उसे प्राप्त करके ही रहेंगे। जो व्यक्ति खुद पर विश्वास कर लेता है, उसके लिए दुनिया में कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। मजबूत विश्वास से कर्म करने वालों की सृष्टि भी मदद करती है, जबकि विश्वास के अभाव में मनुष्य कार्य तक शुरू नहीं कर पाता। शास्त्रों में कहा गया है कि जिस काम को आप अंजाम देना चाहते हो, उसमें अपना विश्वास रखें और उसे करना जारी रखें। विश्वास करने से मनुष्य के विचार मजबूत होते हैं और मजबूत विचारों से किया गया कर्म फलदायी होता है। विश्वास से ईश्वर को भी पाया जा सकता है वरना वह मिट्टी की एक मूरत से ज्यादा नहीं है। जो व्यक्ति ईश्वर की शरण में आता है उसे यह विश्वास करना होता है कि ईश्वर सचमुच में है। ईश्वर उन लोगों से खुश होता है और उन्हें इनाम भी देता है जो सच्चे मन से उसकी खोज करते हैं।
[ महायोगी पायलट बाबा ]