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    मुद्दा: दलों का दलदल

    By Edited By:
    Updated: Sun, 04 Dec 2011 01:14 AM (IST)

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    *बढ़ती हिंसा *प्रशासन

    *वित्त की जरूरत *नेतृत्व क्षमता

    *आंतरिक लोकतंत्र का अभाव

    *महिलाओं की भागीदारी

    *पार्टी सदस्यों को प्रशिक्षण

    *सिद्धांतों और राजनीतिक मूल्यों का अभाव

    *प्रचार अभियान का तरीका

    *विघटन एवं गठबंधन की राजनीति

    *लंबा-चौड़ा मंत्रि मंडल

    सुधार के सुझाव

    शैक्षिक एवं शोध संस्थाओं, राजनीतिक पर्यवेक्षकों व विश्लेषकों और सरकार द्वारा गठित समितियों और आयोगों ने देश में दलीय प्रणाली में सुधार के लिए समय समय पर अपने प्रस्ताव दिए हैं।

    केआर नारायणन [पूर्व राष्ट्रपति]

    पार्टियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चुनाव में अपराधियों को टिकट न मिले। इस तरह बिना कोई कानून बनाए ही राजनीति में अपराधियों के प्रवेश को रोका जा सकता है। दलबदल कानून ढंग से काम नहीं कर पा रहा है। अगर कोई व्यक्ति किसी दल से चुनाव जीतकर आया हो और वह पार्टी छोड़ना चाहता है तो उसे पहले संसद या विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना चाहिए। फिर चुनाव का सामना करे।

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    पार्टी सुधार पर सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च स्टडी [लोक राज बराल] [2000]

    *सर्वाधिक मत पाने वाले उम्मीदवार को विजयी घोषित किए जाने वाली चुनाव प्रणाली में सुधार किया जाना चाहिए। इस फ‌र्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम की जगह जर्मन मॉडल के अनुसार प्रीफेरेंसियल वोटिंग सिस्टम को बढ़ावा देना चाहिए। इस प्रणाली में सभी चुनावी उम्मीदवारों को मतदाता अपनी पसंद के अनुसार मतपत्रों पर वरीयता तय करता है। इसतरह संसद में राजनीतिक दलों की आनुपातिक भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

    *राजनीतिक दलों की अपनी आचार संहिता होनी चाहिए। इन्हें खुद ही सुधार की शुरुआत करनी चाहिए

    वीएम तारकुंडे समिति [1974-75]

    स्वतंत्र संस्था सिटिजंस ऑफ डेमोक्रेसी की ओर से जयप्रकाश नारायन ने चुनावी सुधार के लिए तारकुंडे समिति का गठन किया था। इस समिति की सबसे प्रमुख सिफारिश थी कि एक ऐसा कानून होना चाहिए जिसके तहत सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को अपने खातों, आय के स्नोतों और खर्च के ब्यौरे का ऑडिट कराना जरूरी हो। खाते में गड़बड़ी दंडनीय अपराध बनाया जाय

    दिनेश गोस्वामी समिति रिपोर्ट [1990]

    *किसी भी उम्मीदवार को दो से अधिक सीटों से चुनाव लड़ने से रोका जाए

    *निर्दलीय उम्मीदवारों की जमानत राशि बढ़ायी जानी चाहिए। ऐसे सभी उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त की जानी चाहिए जो एक चौथाई नहीं पा सके हों

    जस्टिस वीआर कृष्णा अय्यर समिति [1994]

    सभी पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र सुनिश्चित करने के लिए कानून होना चाहिए। पार्टियों के खातों की जांच की जानी चाहिए। एक ऐसी संस्था होनी चाहिए जो यह जांच और विचार करे कि कोई दल सांप्रदायिकता को बढ़ावा तो नहीं दे रहा है या किसी भी तरह से संविधान विरुद्ध काम कर रहा है

    लॉ कमीशन की रिपोर्ट [1998]

    *निर्दलीय उम्मीदवारों के लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव लड़ने पर हो रोक

    *जनप्रतिनिधित्व कानून में राजनीतिक दलों के गठन, काम करने के तरीके और आय-व्यय को नियंत्रण करने वाले प्रावधानों को शामिल किया जाना चाहिए। पार्टियों में टूट और आंतरिक लोकतंत्र को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए

    *लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव में कुल मत का पांच फीसदी से कम मत पाने वाले दलों को एक भी सीट न दी जाए

    जस्टिस कुलदीप सिंह पैनल

    जिस तरह से कोई सरकारी कर्मचारी आपराधिक मामलों में फंसने पर निलंबित रहता है, जब तक कि अदालत द्वारा उसे बरी नहीं किया जाता। उसी तरह से राजनेताओं के लिए भी प्रावधान किए जाने चाहिए

    शोध संस्थानों एवं विद्वानों के सुझाव

    *राजनीतिक दलों के गठन के लिए तभी उनका पंजीकरण किया जाए, जब उनका एक अपना संविधान हो और इस संविधान में निम्नलिखित बातें स्पष्ट की गई हों

    *लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों को बढ़ावा

    *उम्मीदवारों, नेताओं, प्रतिनिधियों और अधिकारियों के चयन के लिए स्पष्ट और सुसंगत नियम कानून

    *नेतृत्व के चुनाव में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पार्टी का हर सदस्य अपना वोट दे

    राजनीतिक दलों की बढ़ती संख्या

    लोकसभा चुनाव अ इ उ

    1951 53 14 22

    1957 15 4 12

    1962 27 6 20

    1967 25 7 19

    1971 53 8 24

    1977 34 5 18

    1980 36 6 17

    1984 33 7 21

    1989 113 8 24

    1991 145 9 24

    1996 209 8 28

    1998 176 7 39

    1999 169 7 39

    2004 230 6 40

    2009 364 7 37

    अ चुनाव में शामिल दल इ राष्ट्रीय दल

    उ संसद में प्रतिनिधित्व वाले दलों की संख्या

    स्नोत: चुनाव आयोग एवं सीएसडीएस डाटा यूनिट

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